भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल इसी सप्ताह 10-11 सितम्बर को रूस यात्रा पर जाने वाले हैं। वे वहां ब्रिक्स (BRICS) देशों के एनएसए की बैठक में हिस्सा लेंगे। डोभाल की यात्रा ऐसे समय हो रही है, जब कुछ दिन पहले ही रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने अपने बयान में यूक्रेन संघर्ष हल करने के लिए भारत और चीन पर भरोसा जताया था। चीन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार वांग यी भी इस बैठक में मौजूद रहने वाले हैं। बैठक में यूक्रेन का संघर्ष एजेंडे में शीर्ष पर रहने वाला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी जुलाई में रूस की यात्रा की थी। इसके अगले महीने ही अगस्त में पीएम मोदी यूक्रेन पहुंचे। इसके बाद आए पुतिन के बयान ने साफ कर दिया है कि संघर्ष को रोकने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका होने वाली है।
यूक्रेन की यात्रा और राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने 27 अगस्त को राष्ट्रपति पुतिन से फोन पर बात की थी। रूस की तरफ से कहा गया कि फोन काल के दौरान पीएम मोदी ने पुतिन को अपनी हाल की कीव यात्रा के बारे में बताया। इस दौरान पीएम मोदी ने राजनीतिक और कूटनीतिक तरीकों से यूक्रेन समझौता करने की भारत की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। सूत्रों के अनुसार, इस फोन काल के दौरान ही यह तय किया गया कि एनएसए डोभाल मॉस्को जाएंगे। खास बात यह है कि जेलेंस्की से मुलाकात के बाद पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से भी बात की थी, जो यूक्रेन का महत्वपूर्ण सहयोगी है।
भारत निभाने जा रहा अहम भूमिका
ऐसा माना जा रहा है कि पीएम मोदी ने कीव यात्रा के दौरान राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ संघर्ष के हल को लेकर बात की थी। हिंदुस्तान टाइम्स ने एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से बताया है कि ‘भारत और दुनिया चाहती है कि यूक्रेन युद्ध समाप्त हो और इस संदर्भ में पीएम मोदी सभी पक्षों से बात कर रहे हैं। रूस और यूक्रेन के बीच मध्यस्थ बनने की उनकी कोई इच्छा नहीं है, लेकिन युद्ध को रोकने के लिए सभी पहलों का समर्थन करते हैं ताकि बच्चों और महिलाओं को मिसाइलों, रॉकेट और गोलियों का निशाना न बनाया जाए।’