राजधानी भोपाल पिछले 40 दिनों में 50 लोग फांसी लगाकर खुदकुशी कर चुके हैं। इसमें पचास फीसदी 20 से लेकर 25 के साल के हैं। उनकी मौत का कारण घरेलू कलह है। पुलिस ने सभी मामलों परिजनों के बयान दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी गई है।
जानकारी के अनुसार राजधानी के पुराने और नए शहर के थानों को मिलाकर एक मार्च से लेकर 10 अप्रैल तक करीब पचास लोग फांसी लगाकर खुदकुशी कर चुके हैं। इसमें नौ साल की बच्ची लेकर 70 साल के बुजुर्ग तक शामिल हैं। इन खुदकुशी करने वालों में युवाओं की संख्या अधिक है।
50 में से 13 महिलाएं : खास बात यह है कि जीवन से निराश लोगों में महिलाओं के मुकाबले पुरुषों की तादाद कहीं अधिक है। फांसी लगाकर जान देने वालो में 37 पुरूष थे, जबकि 13 महिलाएं थी। एक महिला ने चोरी के तानों से परेशान होकर जान दे दी। एक महिला को पति ने घुमाने से मना किया तो उसने फांसी लगाकर जान दे दी
थी। अधिकांश पुरुषों के मामले में खुदकुशी की वजह सामने नहीं आ सकी ।
सुसाइड नोट में अधिकांश ने परिजनों से माफी मांगी : खुदकुशी करने वालों में से कुछ के पास से पुलिस को सुसाइड नोट मिले, लेकिन उन्होंने जान देने का कारण उसमें नहीं लिखा। पर अपने परिजन से माफी जरूर मांगी है
परिजन की डांट-फटकार भी आत्महत्या का कारण
‘नवदुनिया’ ने 40 दिन में खुदकुशी करने वालों के बारे में जानकारी जुटाई तो इनमें 20
से 25 साल के युवाओं की संख्या सबसे अधिक निकली है। इनके खुदकुशी करने के पीछे परिजनों की डांट-फटकार से लेकर गृह-क्लेश जैसे कारण सामने आए हैं। इन लोगों में से अधिकांश ने तो आवेश में आकर फांसी लगाकर जान दे दी। इसमें सिर्फ दो ऐसे थे, जो खुदकुशी करने से पहले सुसाइड नोट लिख पाए। बाकी ने किस कारण जान दी है, यह पता नहीं चल सका है। यह जरूर है कि सुसाइड नोट में भी परिजनों से यह कदम उठाने के लिए माफी मांगी है।
खुदकुशी करने समय व्यक्ति कई बार आवेश में आकर यह कदम उठा लेता है। ऐसे हालात में अगर वह किसी से अपनी परेशानी या मन की व्यथा साझा करे तो यह कदम रुक सकता है। अगर कोई व्यक्ति अधिकांश समय निराशाजनक बातें करें तो उसे किसी
मनोचिकित्सक को जरूर दिखाना चाहिए, ताकि उसकी परेशानी का निदान हो सके।
– अमित मिश्रा, समाजशास्त्री