मध्य प्रदेश में रिश्वतखोरी की खबरें लगातर सामने आ रही है। एमपी में दो साल में 277 सरकारी अधिकारी और कर्मचारी रिश्वत लेते पकड़े गए हैं। इस अवधि में 18 अधिकारी-कर्मचारियों को घूस लेते पकड़ा है। कोरोना काल में सरकारी दफ्तर काफी कम खुले है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि बाकी दिनों में कैसी स्थिति रहती होगी।
एमपी विधानसभा में लगाए गए एक प्रश्न में यह बात सामने आई है। दरअसल विधानसभा में कांग्रेस विधायक सज्जन सिंह वर्मा ने सवाल किया था कि एक अप्रैल 2020 से अब तक कितने रिश्वतखोर अधिकारी-कर्मचारी पकड़े गए हैं। जिसके जवाब में कहा गया कि लोकायुक्त की टीम ने एक अप्रैल 2020 से 2 मार्च 2022 तक प्रदेश में 277 सरकारी अधिकारी-कर्मचारी रिश्वत लेते धरे गए हैं।
कांग्रेस विधायक सज्जन सिंह वर्मा ने सदन में मुख्यमंत्री से सवाल पूछा कि राज्यपाल की तरफ से 22 फरवरी 2021 को दिए गए अभिभाषण के बिंदु क्र. 14 में आत्म-निर्भर निर्माण में सुशासन की सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका है। नागरिकों के कार्य सुगमता के साथ, बिना लिए दिए और बिना चक्कर लगाए समय से संपन्न हो यही सुशासन का केन्द्र बिन्दु है। इसका उल्लेख किया गया था?
यदि हां तो एक अप्रैल 2020 प्रश्न दिनांक तक की अवधि में लोकायुक्त पुलिस और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने मध्यप्रदेश के शासकीय-अर्द्धशासकीय कर्मचारी-अधिकारियों को रंगे हाथों रिश्वत लेने के कितने प्रकरण पंजीबद्ध किए गए हैं? आरोपियों के नाम, पद पदस्थापना स्थल और दर्ज प्रकरण क्रमांक दिनांक वार बताएं। प्रकरणवार पूर्ण ब्यौरा दें। क्या प्रदेश के सरकारी कार्यालय-निगम, मण्डल आदि में सहकारी संस्थाओं में नागरिकों के कार्य बिना लिए दिए और बिना चक्कर लगाये समय से सम्पन्न नहीं हो रहे हैं? यदि हां तो क्या यही आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की कल्पना है?
इसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तरफ से जवाब दिया गया कि विशेष पुलिस स्थापना ने एक अप्रैल 2020 से प्रश्न दिनांक तक की अवधि में रंगे हाथ रिश्वत लेने 277 प्रकरण पंजीबद्ध किए गए है, आरोपियों के नाम पद पदस्थापना, दर्ज प्रकरण क्रमांक और दिनांक सहित प्रकरणवार पूर्ण ब्यौरा पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट-अ अनुसार है। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने एक अप्रैल 2020 से प्रश्न दिनांक तक की अवधि में रंगे हाथ रिश्वत लेने (ट्रेप) 18 प्रकरण पंजीबद्ध किए गए है।