। मध्य प्रदेश में बीते दो साल में 71 बाघों की मौत हुई है। इसमें से 20 बाघों का शिकार हुआ है। यह जानकारी बुधवार को वनमंत्री विजय शाह ने विधायक नारायण सिंह पट्टा के सवाल के जवाब में विधानसभा में दी।
वनमंत्री ने लिखित जवाब में बताया कि पिछले वर्ष एक जनवरी से 31 दिसंबर 2020 तक प्रदेश में 30 बाघों की मौत हुई है। इनमें से नौ मामले शिकार के हैं। टाइगर रिजर्व में 19 बाघों की स्वाभाविक मौत हुई है और दो बाघों का शिकार हुआ है, जबकि संरक्षित क्षेत्र में दो बाघों की स्वाभाविक मौत दर्ज की गई है और सात बाघों का शिकार हुआ है।
वन मंत्री ने इस वर्ष के आंकड़े पेश करते हुए बताया कि एक जनवरी से सात दिसंबर 2021 के बीच 41 बाघों की मौत की पुष्टि की है। इनमें से 11 बाघों का शिकार हुआ है। टाइगर रिजर्व में 20 बाघों की स्वाभाविक मौत हुई है और पांच बाघों का शिकार हुआ है, जबकि संरक्षित क्षेत्रों में छह बाघों का शिकार और 10 की स्वाभाविक मौत दर्ज की गई है।
23 महीने में रातापानी में दो और सिंघौरी में एक बाघ की मौत
विधायक डा. सतीश सिकरवार के सवाल के जवाब में वनमंत्री विजय शाह ने जानकारी दी कि जनवरी 2020 से नवंबर 2021 के बीच रातापानी अभयारण्य में दो और सिंघौरी अभयारण्य में एक बाघ की मौत हुई है। विधायक ने प्रदेश के विभिन्न् अभयारण्यों में जनवरी 2020 से नवंबर 2021 तक बाघ-बाघिन की मौत की जानकारी मांगी थी। विधायक के एक अन्य सवाल के जवाब में वन मंत्री ने बताया कि वर्तमान वर्ष में राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य के बरौली घाट से घड़ियाल के दो सौ अंडे इकठ्ठा किए गए हैं।