मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने घनी आबादी के बीच से मोबाइल टावर हटाने के दिए निर्देश

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मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका का इस निर्देश के साथ पटाक्षेप कर दिया कि रहवासी इलाके से मोबाइल टावर हटाने की शिकायत पर 15 दिन के भीतर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष मामला सुनवाई के लिए लगा। इस दौरान जनहित याचिकाकर्ता ललिता नगर जन कल्याण समिति, कोलार की ओर से अधिवक्ता एसपी मिश्रा ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि घनी आबादी वाले क्षेत्र में मोबाइल टावर की वजह से शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। यह बात कई शोधों में सामने आ चुकी है। मोबाइल टावर से निकलने वाले घातक किरणें अनिद्रा, त्वचा रोग, जोड़ें में दर्द सहित अन्य परेशानियों की वजह बनती हैं।

इसीलिए रहवासी इलाके में मोबाइल टावर लगाए जाने का विरोध किया गया है। इस सिलसिले में पूर्व में जिम्मेदार अमलों को शिकायतें सौंपी गईं, लेकिन ठोस कार्रवाई नदारद रही। इसीलिए व्यापक जनहित में हाई कोर्ट आना पड़ा। हाई कोर्ट ने सभी बिंदुओं पर गौर करने के बाद जनहित याचिका का इस निर्देश के साथ निराकरण कर दिया कि जनहित याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर नियमानुसार 15 दिन के भीतर ठोस कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।

मौजूदा विस सत्र में पारित करें एडवोकेट्स प्रोटेक्शन एक्ट : राष्ट्रीय संयुक्त अधिवक्ता मंच ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर वर्तमान विधानसभा सत्र में ही एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट पारित कर लागू करने की मांग की है। प्रदेशाध्यक्ष चंद्र कुमार वलेजा ने पत्र में कहा कि प्रदेश में अधिवक्ताओं पर जानलेवा हमले हो रहे हैं और अधिवक्ताओं को प्रकरण में पैरवी न करने के लिए चेतावनी देकर जान से मारने की धमकी दी जा रही है। हाल ही में भोपाल एवं हरदा में इस तरह की घटनाएं घट चुकी हैं। जिनकी रिपोर्ट थाने में हुई है। वलेजा ने पत्र के साथ मुख्यमंत्री द्वारा वर्ष 2018 में एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की घोषणा एवं 16 जुलाई, 2018 को एडवोकेट एक्ट कैबिनेट में पास करने की खबरें भेजी। पत्र के जरिये मुख्यमंत्री को स्मरण कराया गया। वर्तमान में चल रहे सत्र में ही प्रोटेक्शन एक्ट को पारित कर लागू करने की मांग की गयी ।

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