राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत आनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए स्मार्ट क्लास रूम और कंप्यूटर शिक्षा को अनिवार्य किया गया है, लेकिन ज्यादातर स्कूलों में सिर्फ खानापूर्ति हो रही है। प्रदेश के एक लाख 22 हजार सरकारी स्कूलों में से 36 हजार में बिजली ही नहीं है, ऐसे में स्मार्ट क्लास संचालित करना नामुमकिन है। 1200 स्कूलों में तो सिर्फ नाम के लिए स्मार्ट क्लास शुरू किए गए हैं। यहां तीन साल में कोई सुधार नहीं हुआ है।
यही नहीं, कई स्कूलों की हालत तो इतनी खराब है कि वहां पढ़ाने के लिए ब्लैक बोर्ड तक नहीं है। राजधानी के एमएलबी बरखेड़ा, शासकीय उमावि बागसेवनिया, संजय गांधी शासकीय माध्यमिक शाला के अलावा बरखेड़ा पठानी स्थित शासकीय हाईस्कूल, माचना कालोनी स्थित राजीव गांधी शासकीय हाईस्कूल सहित कई अन्य स्कूलों में ब्लैक बोर्ड भी सही हालत में नहीं है। स्मार्ट क्लास तो इन स्कूलों में है ही नहीं।