मां, माटी और मानुष ने एक बार फिर ममता बनर्जी में प्रचंड भरोसा दिखाया। भरोसे की पुष्टि उन आंकड़ों से होती है जो ममता बनर्जी की झोली में है। 292 सीटों के नतीजे अब पूरी तरह सामने आ चुके हैं और टीएमसी 213 सीटों पर कब्जा जमा चुकी है। आठ चरण के चलने वाले इस चुनाव में बीजेपी ने जबरदस्त अभियान चलाया। लेकिन सत्ता की कुर्सी तक पहुंचने में कामयाब नहीं हुई। लेकिन 3 से 77 सीट के सफर को तय कर लिया। ममता बनर्जी की इस सुनामी वाली जीत के मायने क्या हैं इसे समझना जरूरी है।
आठ चरण बीजेपी पर पड़े भारी
पश्चिम बंगाल के चुनाव को टीएमसी और बीजेपी दोनों अब नहीं तो कभी नहीं के साथ करो या मरो के नारे पर लड़ रही थी। आठ चरणों में चुनाव का आगाज हो चुका था। यह बात अलग थी कि ममता बनर्जी बार बार कहती रहीं कि इतने ज्यादा चरणों में चुनाव कराना सही नहीं होगा। लेकिन उनकी मांग अनसूनी की गई और वो उस मुद्दे को चुनाव प्रचार के दौरान जोरशोर से उठाती रहीं। ममता बनर्जी साफ तौर पर कहती रहीं कि चुनाव आयोग के इस अड़ियल रुख से बंगाल की जनता कोरोना काल में खतरे में हैं। बंगाल में टीएमसी का आंकड़ा इस बात की तस्दीक भी करता है कि लोगों ने ममता की बात पर भरोसा किया।
क्या कहते हैं जानकार
जानकारों की राय में इस चुनाव नतीजे के तात्कालिक और दूरगामी असर पड़ने वाले हैं। ममता बनर्जी को जिस तरह से टूटे हुए पैर के साथ चुनावी अभियान में इतनी बड़ी जीत हासिल हुई है उससे एक बात साफ है कि बंगाल की जनता उन्हें बेहद पसंद करती हैं। राष्ट्रीय फलक पर अक्सर यह कहा जाता है कि नरेंद्र मोदी का विकल्प कौन है तो वो खुद को विकल्प के तौर पर पेश कर सकती हैं। अगर आप नतीजों के बाद क्षेत्रीय दलों की तरफ से बधाई संदेश को देखें तो एक बात साफ है कि हर किसी दल को लगता है कि उसके सामने इस समय सबसे बड़ी चुनौती नरेंद्र मोदी हैं और उनसे मुकाबले के लिए एक मंच पर सबका इकट्ठा होना जरूरी है।