कार्तिक-अगहन मास की भगवान महाकाल की शाही सवारी में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा है। अवंतिकानाथ शाही ठाठ बाट के साथ चांदी की पालकी में सवार होकर प्रजा का हाल जानने निकले हैं।
कोरोना प्रतिबंध समाप्त होने के बाद परंपरागत शाही सवारी मार्ग से महाकाल का कारवां गुजरेगा। लगभग 7 किलोमीटर लंबे सवारी मार्ग पर भक्त पलक पावड़े बिछाकर राजा का स्वागत करेंगे। तेलीवाड़ा,कंठाल,छत्री चौक, मिर्जा नईम बेग मार्ग पर विभिन्ना् संस्थाएं मंच से पुष्प वर्षा कर सवारी का स्वागत किया जाएगा।
महाकाल मंदिर से शाम 4 बजे सवारी शुरू हुई है। महाकाल घाटी, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी, रामानुजकोट होते हुए राजा की पालकी मोक्षदायिनी शिप्रा के रामघाट पहुंचेगी। यहां महाकाल पेढ़ी पर पालकी को विराजित किया जाएगा। पुजारी शिप्रा जल से भगवान महाकाल का अभिषेक कर पूजा अर्चना किया जाएगा।
पूजन के बाद महाकाल की सवारी राणौजी की छत्री घाट, गंधर्वघाट होते हुए शिप्रा नदी पर बने छोटे पुल के रास्ते गणगौर दरवाजा से नगर प्रवेश करेगी। इसके बाद सत्यनारायण मंदिर,ढाबारोड, टंकी चौराहा, मिर्जा नईम बेग मार्ग, छोटा तेलीवाड़ा, कंठाल, सतीगेट, छोटा सराफा, छत्री चौक होते हुए गोपाल मंदिर पहुंचेगी तथा हरि हर मिलन कराया जाएगा। गोपाल मंदिर के पुजारी भगवान महाकाल की पूजा अर्चना करेंगे। पश्चात पालकी पटनी बाजार, गुदरी चौरहा होते हुए शाम 7 बजे पुनः महाकाल मंदिर पहुंचेगी। सवारी में सबसे आगे भगवान महाकाल का चांदी का ध्वज रहेगा। पीछे पुलिस का अश्वरोही दल, पुलिस बैंड, सशस्त्रबल की टुकड़ी, भजन मंडली के बाद भगवान महाकाल की पालकी है।