महाविद्यालय और जनभागीदारी समिति के विवाद में आया नया मोड़

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 शंकर साव पटेल शासकीय महाविद्यालय वारासिवनी के प्रशासन और जनभागीदारी समिति के बीच के विवाद ने एक नया मोड़ ले लिया है। जिसमें एसडीएम के प्रतिवेदन पर जिला कलेक्टर के द्वारा ४ सदस्य की टीम गठित कर जनभागीदारी समिति अध्यक्ष प्रफुल्ल बिसेन के द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच कर एक माह के भीतर जांच प्रतिवेदन देने के लिए समिति को निर्देशित किया गया है। विदित हो कि एसएसपी महाविद्यालय जनभागीदारी समिति गठन के बाद समिति और महाविद्यालय प्रशासन के बीच जानकारियों को लेकर गतिरोध चल रहा था। ऐसे में महाविद्यालय प्रशासन के द्वारा समिति के अधिकारों का हनन करने पर समिति के द्वारा जिला प्रशासन की शरण ली गई थी। जिस पर एसडीएम वारासिवनी को जिला कलेक्टर के द्वारा जांच के लिए कहा गया था जिसमें एसडीएम के द्वारा जांच कर प्रतिवेदन जिला कलेक्टर को भेजा था । जिसके आधार पर जिला कलेक्टर के द्वारा १६ जून को  महाविद्यालय वारासिवनी में वित्तीय अनियमितता व अन्य शिकायतों की जांच के लिए जांच दल गठित कर १ महीने के भीतर जांच प्रतिवेदन दिए जाने के लिए निर्देशित किया गया है।

यह है आदेश

जिला कलेक्टर बालाघाट के द्वारा आदेश में उल्लेख किया गया है कि अनुविभागीय अधिकारी राजस्व  वारासिवनी के पत्र क्रमांक ९१५/स्टेनो / २०२३ दिनांक २ जून २०२३ के अनुसार आवेदक प्रफुल्ल बिसेन अध्यक्ष जनभागीदारी शासकीय महाविद्यालय वारासिवनी के द्वारा प्रस्तुत शिकायत आवेदन पत्र के बिन्दु क्रमांक १ से ६ में दर्शित तथ्यों के संबंध में प्राचार्य शासकीय एसएसपी महाविद्यालय वारासिवनी से प्राप्त प्रतिवेदन एवं आवेदक अध्यक्ष जनभागीदारी के द्वारा प्रस्तुत जानकारी व दस्तावेज के परीक्षण उपरांत वित्तीय अनियमितता बरती जाना परिलक्षित होता है। जिसमें शिकायत की जांच हेतु अधिकारियों का एक जाँच दल गठित किया जाता है। जिसमें अमित कुमार मरावी जिला कोषालय अधिकारी बालाघाट अध्यक्ष, एन के बिसेन  अधीष्ठाता राजा भोज कृषि महाविद्यालय मुरझड़, धनश्याम देशमुख प्रोफेसर राजा भोज कृषि महाविद्यालय मुरझड, देवरस ठाकरे सहायक लेखाधिकारी जनपद पंचायत वारासिवनी सदस्य जो जनभागीदारी समिति के द्वारा पारित प्रस्तावों का प्राचार्य के द्वारा पालन ना किये जाने एवं महाविद्यालय में आर्थिक अनियमितताओं की जांच एक माह के भीतर पूर्ण कर अपना जाँच प्रतिवेदन इस कार्यालय को उपलब्ध करवाना सुनिश्चित करेगी। यह आदेश तत्काल प्रभावशील होगा।

यह है मामला

शंकर साव पटेल शासकीय महाविद्यालय वारासिवनी में जनभागीदारी समिति के द्वारा महाविद्यालय के बीते ५ वर्षों का वित्तीय रिकॉर्ड मिलान किया गया । जिसमें बच्चों से लिए गए ४ वर्ष के प्रवेश शुल्क में ७१ लाख रुपए की अनियमितता पाई गई । वहीं विभिन्न प्रकार की अन्य विसंगतियां भी स्पष्ट रूप से देखी गई। जिस पर समिति के द्वारा अंकेक्षण करने व कराने की बात कही गई जिस पर प्राचार्य के द्वारा नियमों का हवाला देते हुए अंकेक्षण से मना कर दिया गया। जिसके बाद लगातार जनभागीदारी समिति के द्वारा पारित प्रस्तावों की अवहेलना की जाने लगी जिस पर जनभागीदारी समिति अध्यक्ष के द्वारा जिला कलेक्टर को ज्ञापन देकर मांग की गई कि जनभागीदारी समिति के द्वारा ६ जनवरी २०२३ एवं दिनांक १७ फरवरी २०२३ को पारित किए गए प्रस्तावों पर आज दिनांक तक कोई भी कार्य का क्रियान्वयन नहीं किया गया है। महाविद्यालय में प्रत्येक वर्ष प्रवेश के दौरान झण्डा शुल्क के नाम पर प्रत्येक नियमित प्रवेशित छात्र से पाँच रूपये प्रवेश के समय ही लिये जाते है। जबकि झण्डा दिवस पर महाविद्यालय में झण्डा विक्रय के लिए प्रत्येक वर्ष कलेक्टर कार्यालय के द्वारा महाविद्यालय को विक्रय हेतु दिये जाते है। महाविद्यालय इन झण्डों को प्राइवेट छात्रों को जो अंक सूची तथा नियमित छात्र जो टीसी प्राप्त करने आते है उन छात्रों को भी विगत वर्ष २०१६-१७ से वर्तमान सत्र तक झण्डे बेचे जा रहे है। अर्थात् झण्डा के नाम पर नियमित छात्रों से एवं प्राइवेट छात्रों से राशि ली जाती है केवल नियमित छात्रों से ली गई राशि में से विक्रय हेतु प्राप्त झण्डों की ही राशि भेजी जाती है। नगद विक्रय से प्राप्त राशि एवं नियमित छात्रों की प्राप्त राशि में से शेष बची राशि में आर्थिक अनियमितता की गई है जाँच की जाएँ। जनभागीदारी समिति के द्वारा सत्र २०१७-२०१८ से वर्तमान अवधि तक का लेखा परीक्षण कराये जाने हेतु प्रस्ताव पास किया गया। जिसके तहत ५ पांच सदस्यी लेखा परीक्षण समिति बनाई गयी लेखा परीक्षण समिति को प्राचार्य ने लेखा परीक्षण करने हेतु आदेश भी दिये। जिसके तहत लेखा परीक्षण समिति के संयोजक के द्वारा परीक्षण किये जाने का पत्र प्राचार्य को दिया गया किन्तु प्राचार्य द्वारा लेखा परीक्षण कराने से मना कर दिया गया,पत्र संलग्न है। जनभागीदारी अध्यक्ष के अनुमति लिए बिना जनभागीदारी खाते से आहरण ना किये जाने का भी प्रस्ताव पास किया गया था। किन्तु प्राचार्य के द्वारा प्रस्ताव को ना मानते हुये चेक काटे गये जो चेक काटे गये थे वे चेक कोरे ;ब्लैंकथे। जिसमें ना तो राशि अंकित थी और ना ही किसी का नाम था केवल प्राचार्य के हस्ताक्षर युक्त चेक थे। जिनका उपयोग मनमर्जी से किया जा रहा था। जिसकी शिकायत मेरे द्वारा विभाग को प्रेषित की गई है कोरे चेक संलग्न है। विगत पांच वर्षों के प्रवेशित छात्रों की   फीस में भी लाखों रूपये का भारी घोटाला का भी संदेह व्याप्त है। ऐसा ज्ञात हुआ है कि अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा जबलपुर द्वारा पूर्व में इन वर्षों के लेखों की जाँच करायी गई थी जिसमें भुगतान नियमानुसार नहीं करना एवं अनियमितता तथा भण्डार क्रय नियमों का पालन ना करना प्रमाणित हुआ है इसमें जांच की जायें। जिस पर जिला कलेक्टर ने एसडीएम वारासिवनी को जांच के लिए निर्देशित किया गया जिन्होंने दोनों पक्षों से दस्तावेज व प्रतिवेदन लेकर प्राथमिक मूल्यांकन कर संभावित प्रतिवेदन तैयार कर जिला कलेक्टर को भेजा गया। जिस पर उनके द्वारा जांच के लिए टीम गठित की गई है जिसके द्वारा सभी विषयों पर जांच की जायेगी।

वित्तीय व अन्य अनियमितता के लिए महाविद्यालय के प्राचार्य एवं मुख्य लिपिक  जिम्मेदार-प्रफुल्ल बिसेन

जनभागीदारी समिति के  अध्यक्ष प्रफुल्ल बिसेन ने पद्मेश से चर्चा में बताया कि जनभागीदारी के कुछ अधिकार होते हैं जिनका महाविद्यालय के द्वारा हनन किया जा रहा था। जनभागीदारी के निर्णय को महाविद्यालय प्रशासन नहीं मान रहा था और ना ही हमें दस्तावेजों का अंकेक्षण करने दे रहा था। जिस पर जिला कलेक्टर को ५ मुद्दों को लेकर ज्ञापन दिया गया था जिस पर एसडीएम के नोटिस पर उन्हें दस्तावेज साक्ष्य दिए गए थे । जिसके बाद १६ जून को जिला कलेक्टर ने उक्त विषय में जांच के लिए ४ सदस्य की टीम गठित की है। श्री बिसेन ने बताया कि इस प्रकार की वित्तीय अनियमितता व विभिन्न समस्याओं के लिए महाविद्यालय के प्राचार्य एवं मुख्य लिपिक  जिम्मेदार होते हैं वर्तमान में प्राचार्य प्रवीण श्रीवास्तव एवं मुख्य लिपिक तिलकराम डहारे है । क्योंकि इनके ही द्वारा प्रभावी रूप से कार्य किया जाता है परंतु अब यह जांच का विषय है कि उसमें किसका दोस्त सिद्ध होता है। 

इनका कहना है

दूरभाष पर बताया कि महाविद्यालय की जांच अभी समाप्त नहीं हुई है । जिसमें जिला कलेक्टर के द्वारा टीम गठित कर दी गई है इसमें ४ सदस्य है जिसके अध्यक्ष जिला कोषालय अधिकारी  है जो  जांच अभी जारी है।

सुश्री कामिनी ठाकुर  एसडीएम वारासिवनी

दूरभाष पर बताया कि उनकी टीम के द्वारा महाविद्यालय पर लगाए गए आरोपों की जांच की जा रही है । जिसके संबंध में विस्तार पूर्वक नहीं बता सकते हैं इसमें १ महीने में प्रतिवेदन तैयार करके देना है।

अमित कुमार मरावी जिला कोषालय अधिकारी जांच समिति अध्यक्ष

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