नई दिल्ली : दो बालिगों में प्रेम संबंध। प्यार परवान चढ़ा। पुरुष बैंक अधिकारी तो महिला लेक्चरर। दोनों दो-चार नहीं, बल्कि 15-16 साल तक प्रेम संबंध में रहे। तमाम बार शारीरिक संबंध बनाए। फिर महिला ने एक दिन पुरुष पर शादी का झांसा देकर रेप का केस दर्ज करा दिया। आखिरकार, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पुरुष के खिलाफ चल रहे आपराधिक केस को रद्द करने का आदेश दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह यकीन करना मुश्किल है कोई महिला शादी के झूठे वादे पर यकीन करके किसी से 16 साल तक संबंध बनाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये मामला सहमति से संबंध या लिव-इन रिलेशनशिप का है जो बिगड़ गया तो रेप का केस दर्ज करा दिया।
एक बैंक अफसर पर रेप का आरोप लगा था। उसकी लिव-इन पार्टनर, जो एक लेक्चरर हैं, ने कहा कि वो 16 साल तक उससे शादी के वादे के भरोसे संबंध बनाती रही। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने महिला की दलील नहीं मानी और बैंक अफसर के खिलाफ केस खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि दोनों पढ़े-लिखे हैं और ये रिश्ता उनकी मर्जी से था। दोनों अलग-अलग शहरों में पोस्टिंग के दौरान भी एक-दूसरे के घर जाते थे। कोर्ट ने कहा कि ये एक प्रेम प्रसंग या लिव-इन रिलेशनशिप का मामला है जो बिगड़ गया।