माधुरी गुप्ता केस… जब भारतीय राजनयिक पर लगा पाकिस्तान के लिए जासूसी का आरोप, गुमनामी में हुई मौत

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रूस की राजधानी मॉस्को में भारतीय दूतावास में काम करने वाले एक कर्मचारी को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार आरोपी का नाम सत्येंद्र सिवाल है, जो मॉस्को में डेपुटेशन पर तैनात था। उसे यूपी ATS ने मिलिट्री इंटेलिजेंस की सूचना पर उत्तर प्रदेश के हापुड़ से गिरफ्तार किया है। सत्येंद्र सिवाल पर पिछले छह महीनों से खुफिया एजेंसियों की नजर थी। इस घटना ने एक दशक पहले माधुरी गुप्ता केस की याद ताजा कर दी है, जिन्हें ऐसे ही एक जासूसी के मामले में गिरफ्तार किया गया था। निचली अदालत ने उन्हें ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट के उल्लंघन में तीन साल की सजा भी सुनाई थी, लेकिन, हाईकोर्ट में अपील के कारण उनकी सजा निलंबित कर दी गई थी।

2009 में हुई थी माधुरी गुप्ता केस की शुरुआत

2009 में भारत सरकार को चिंताजनक खबर मिली थी। इसमें बताया गया था कि इस्लामाबाद में उसका एक राजनयिक कथित तौर पर पाकिस्तान की आईएसआई के लिए जासूसी कर रहा था। वह राजनयिक माधुरी गुप्ता थीं। माधुरी गुप्ता भारतीय विदेश सेवा की ग्रुप बी की वरिष्ठ अधिकारी थीं। उन्होंने दुनिया भर में विभिन्न पोस्टिंग पर काम किया था। वह पाकिस्तान में भारतीय उच्चायोग में प्रेस और सूचना विभाग को संभालती थीं।

माधुरी गुप्ता पर रॉ और आईबी की थी नजर

सूचना मिलते ही रॉ और इंटेलिजेंस ब्यूरो के प्रमुखों की एक उच्च स्तरीय बैठक की और माधुरी गुप्ता को निगरानी में डाल दिया। इसकी जानकारी विदेश मंत्रालय को भी नहीं दी गई। गुप्ता को यह देखने के लिए झूठी जानकारी दी गई कि कहीं वह इसे लीक तो नहीं कर देगीं। आखिरकार इंटेलिजेंस एजेंसियों को सरकार के संदेह की पुष्टि हो गई। इसके बाद माधुरी गुप्ता को दिल्ली बुलाया गया और आगामी सार्क शिखर सम्मेलन की तैयारियों में मदद करने के लिए कहा गया।

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