मिरगपुर में स्तिथ डीपी राय की खदान में मजदूरों का हो रहा शोषण

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विधानसभा क्षेत्र कटंगी खैरलांजी के पांढरवानी मिरगपुर की निजी मैंगनीज खदान में मजदूरों का आर्थिक शोषण हो रहा है अपने साथ हो रहे इस शोषण के खिलाफ यहां के मजदूर 13 मार्च से हड़ताल कर वेतन वृद्धि की मांग कर रहे हैं लेकिन इन गरीब मजदूरों की अब तक खदान संचालक और प्रशासन के द्वारा सुनवाई नहीं की गई है गौरतलब हो कि पांढरवानी में मैसर्स डीपी राय की ओपन और अंडर ग्राउंड में मैंगनीज खदान संचालित है जहां काम करने वाले मजदूरों का आर्थिक रूप से शोषण किया जा रहा है।
मजदूरों को भारत सरकार श्रम और रोजगार मंत्रालय के अनुसार वेतन नहीं दिया जा रहा है बीते दिनों खदान में पदस्थ इलेक्ट्रीशियन ने इस बात का विरोध करते हुए वेतन वृद्धि की मांग की तो खदान संचालक ने उन्हें काम से निकाल दिया गया जिसके बाद खदान में काम करने वाले तमाम मजदूरों ने अपने साथी इलेक्ट्रीशियन के समर्थन में आकर 13 मार्च से हड़ताल शुरू कर दिए है ।
बीते मंगलवार को मजदूरों ने खनिज विकास निगम और कलेक्टर कार्यालय बालाघाट पहुंचकर ज्ञापन भी सौंपा है वह चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो गरज होती में चक्का जाम करेगी वहीं हड़ताल करें मजदूरों को पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र के राष्ट्रीय मजदूर मंच ने भी अपना समर्थन दिया है.

श्रमिकों का हो रहा आर्थिक शोषण श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अनुरूप नहीं मिल रही दैनिक मजदूरी
पांढ़रवानी (मिरगपुर) में संचालित मे. डी.पी.राय मैंगनीज खदान में श्रमिकों का लंबे समय से आर्थिक शोषण किया जा रहा है. यहां काम करने वाले श्रमिकों को खदान मालिक श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा तय की गई न्यूनतम दैनिक मजदूरी दर का केवल आधा पैसा ही दे रहा है. इसके अलावा श्रमिकों को प्रोत्साहन बोनस भी कम दिया जा रहा है. लेकिन रोजगार तथा जानकारी के अभाव में श्रमिक मजबूरी में बेहद कम दैनिक मजदूरी में काम कर रहे है.
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार श्रम और रोजगार मंत्रालय ने खदान में काम करने वाले मजदूरों की चार श्रेणियां तय की है,इस श्रेणी के मुताबिक सतह के ऊपर और सतह के नीचे काम करने वाले अकुशल,अर्धकुशल,कुशल,उच्च कुशल श्रमिकों को प्रतिदिन के हिसाब से अलग-अलग मजदूरी देना है, अकुशल श्रमिकों के लिए 477 रुपए सतह के ऊपर और 595 रुपए सतह के नीचे काम करने वाले मजदूरों को देना है लेकिन सरकार के इस परिपत्र का डीपी राय की खदान में पालन नहीं हो रहा है मुख्य बात तो यह है कि जिन अफसरों के कंधों पर इस बात की जिम्मेदारी है कि वह मजदूरों के हितों का ध्यान रखें वह विभाग भी डीपी राय के हाथों की कठपुतली बने हुए है।
जानकारी के लिए बता दे कि डीपी राय खदान के संचालक आज से ही नहीं बल्कि लंबे समय से मजदूरों का शोषण करते आ रहे हैं, खदान के संचालक ने एक तरफ जहां मजदूरों का शोषण किया है वहीं दूसरी तरफ सरकार को झूठी जानकारी देने का काम भी किया है मगर बालाघाट जिले में तैनात श्रम विभाग और खनिज विभाग के अफसर तमाम गड़बड़ियों के बावजूद अपनी आंखों में पट्टी बांधकर बैठे हुए हैं खदान में महिला मजदूरों के साथ भी आर्थिक शोषण हो रहा है महिला मजदूरों की मानें तो उन्हें कूड़ो के हिसाब से पैसा दिया जा रहा है वहीं अन्य महिलाओं को टन के आधार पर मजदूरी दी जा रही है.

खदान संचालक का विवादो से पुराना नाता।
पांढरवानी मिरगपुर में संचालित डी पी राय खदान के संचालक का विवादों से पुराना नाता रहा है और यहां काफी लंबे समय से मजदूरों के साथ शोषण किया जा रहा है एल.साल 2018 में भी मिरगपुर के ग्रामीणों ने इस बात को लेकर विरोध प्रदर्शन किया था दरअसल तब खदान संचालक के द्वारा स्थानीय ग्रामीणों को मजदूरी का काम ना देकर बाहरी मजदूरों को रोजगार दिया जा रहा था जब ग्रामीणों ने इस बात को लेकर आंदोलन और विरोध प्रदर्शन किया तब कहीं जाकर खदान संचालक ने इस गलती को स्वीकार करते हुए स्थानीय लोगों को रोजगार दिया लेकिन तब से लेकर अब तक मजदूरों का शोषण भी किया गया है मजदूरों को निर्धारित मजदूरी नहीं दी गई और ना ही खदान में काम करने वाले सभी मजदूरों का ईपीएफ भविष्य निधि कार्यालय में जमा करवाया गया है, केवल चुनिंदा मजदूरों का ही ईपीएफ जमा हो रहा है खदान में काम करने वाले मजदूरो ने बताया कि अंडर ग्राउंड खदान में काम करने वाले मजदूरों को सुरक्षा के लिए ऐसे उपकरण प्रदान किए जा रहे हैं लेकिन ओपन खदान में काम करने वाले मजदूरों को सुरक्षा की कोई सामग्री उपलब्ध नहीं कराई जाती ऐसे में उनकी जान पर हमेशा खतरा मंडराता रहता है लेकिन रोजगार के लिए उन्हें अपनी जान जोखिम में डालकर काम करना पड़ता है।
सभी मजदूरों ने जानकारी देते हुए बताया कि खदान में अगर कोई दुर्घटना भी गठित होती है तो प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए ना ही यहां कोई डॉक्टर है और ना ही प्राथमिक उपचार की सुविधा है. खदान में काम करते समय अगर किसी भी मजदूर को धोखे से चोट या अन्य किसी प्रकार की घटना हो जाने पर उसे सरकारी अस्पताल कटंगी ही भेजे जाने की बात सामने आई है.

कलेक्टर और अफसर खदान संचालक के गुलाम-आशुतोष बिसेन।
बीते मंगलवार को मजदूरों की हड़ताल का समर्थन करने के लिए पहुंचे असंगठित कामगार कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष आशुतोष बिसेन ने कहा कि बालाघाट कलेक्टर,खनिज विभाग के अधिकारी खदान संचालक के गुलाम है. मजदूर यहां अपनी जायज मांगों को लेकर हड़ताल पर बैठे हैं जिनकी सुध लेने के लिए इन अफसरों के पास वक्त नहीं है उन्होंने कहा कि यहां के मजदूरों को संगठित होना पड़ेगा अगर मजदूर चाहेंगे तो ही डी पी राय खदान का संचालक गेट से अंदर आ पाएगा वरना कलेक्टर तो क्या कोई ताकत अंदर नहीं जा सकता. जिला पंचायत सदस्य केशर बिसेन ने कहा कि मजदूरों का शोषण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा खदान संचालक की हिटलरशाही नहीं चल सकती मजदूरों को तय रेट में मजदूरी दिलवाने के लिए वह कलेक्टर से चर्चा करेगी।वही मजदूरों ने खनिज विकास निगम के अध्यक्ष प्रदीप जायसवाल को भी अपनी मांगो को लेकर ज्ञापन सौंपा है जायसवाल ने मजदूरों की सभी मांगों को जायज कहा है.

खदान में काम करने वाली महिलाओं के लिए नहीं है सुलभ शौचालय की व्यवस्था
बताना जरूरी है कि खदान के भीतर करीब 2 दर्जन से अधिक महिलाएं काम करती है लेकिन इन महिलाओं के लिए सुलभ शौचालय की व्यवस्था नहीं है ऐसे में खदान में काम करने आने वाली महिलाओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है ज्ञात हो कि एक तरफ तो सरकार महिलाओं के सम्मान के लिए घर घर में शौचालय बनवा चुकी है इसके अलावा तमाम शासकीय,अशासकीय प्रतिष्ठानों में भी सुलभ प्रसाधन बनवाए गए हैं लेकिन खदान जैसी संस्थाएं इससे आज भी अछूती है यहां काम करने वाली महिलाओं को दैनिक क्रिया के लिए खुले में जाना पड़ता है, डी पी राय की मैग्नीज खदान इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है महिलाओं ने बताया कि उनके द्वारा कई बार खदान संचालक से सुलभ शौचालय बनवाने की व्यवस्था की मांग की गई लेकिन महिलाओं की बात नहीं सुनी गई।

दो इलेक्ट्रीशियन को काम से निकालने के बाद शुरू हुई यह हड़ताल
पांढरवानी मिरगपुर की डीपी राय की मैगनीज खदान में साल 2015 से इलेक्ट्रीशियन आकाश रानाडे,परमेश्वर बनोटे,ज्ञानेश्वर भैरम, दुर्गेश साहू और धर्मेंद्र कोसरे काम कर रहे हैं इन इलेक्ट्रीशियन के द्वारा हाल ही के दिनों में भारत सरकार श्रम और रोजगार मंत्रालय के अनुसार वेतन प्रदान करने की मांग रखी इस बात से गुस्सा होकर खदान के संचालक ने परमेश्वर बनोटे और ज्ञानेश्वर भैरम को काम से निकाल दिया इस बात की जानकारी जब साथ ही मजदूरों को लगी तो उन्होंने खदान के बाहर हड़ताल शुरू कर दी.13 मार्च से हड़ताल जारी है और आज 26 मार्च तक खदान के संचालक ने मजदूरों की सुध नहीं ली और ना ही प्रशासन के द्वारा इस मामले को संज्ञान में लिया गया है जबकि मजदूरों ने विधिवत अपनी हड़ताल और अपने साथ हो रहे शोषण की जानकारी अफसरों तक पहुंचा दी है.
भारतीय मजदूर संघ ने डीपी राय की खदान के बाहर हड़ताल पर बैठे मजदूरों को दिया समर्थन 3 अप्रैल को उग्र आंदोलन के साथ चक्का जाम की दी चेतावनी
रविवार को भारतीय मजदूर संघ ने डीपी राय मिरगपुर की खदान के बाहर हड़ताल पर बैठे मजदूरों को अपना समर्थन देते हुए चेतावनी दी है कि अगर 2 अप्रैल तक मजदूरों की सभी मांगे पूरी नहीं होटी है तो 3 अप्रैल को मिरगपुर बस स्टैंड से लेकर गर्रा चौकी तक चक्का जाम किया जाएगा साथ ही उग्र आंदोलन भी होगा भारतीय मजदूर संघ ने होने वाले इस आंदोलन के लिए स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ खदान संचालक को जिम्मेदार ठहराया है.

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