माया की चकाचौंध से प्रभावित होकर सांसारिक भोग विलास के प्रति आकर्षित होना बहुत सामान्य बात है। ज्यादातर लोग ऐसी ही जिंदगी जीने के सपने पालते हैं। लेकिन ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है जब कोई संपन्न व्यक्ति इस दुनियावी भोग विलास के जीवन को त्यागकर अध्यात्मिक जीवन में आगे बढ़ने के लिए वैराग्य को अपनाता है। 21 फरवरी की सुबह 7.30 बजे मुमुक्षु श्रीमती कंचन कोचर और मुमुक्षु क्षमा बोथरा के दीक्षा दिवस से पूर्व कृषि उपज मंडी इतवारी गंज से वर्षीदान वरघोड़ा निकाला गया।
बग्घी में बैठाकर पूरे शहर में जुलूस निकाला गया। घोड़े और बैंडबाजों के साथ निकले जुलूस में लोग नृत्य करते हुए चल रहे थे। जुलूस में बैंड बाजों पर श्रद्धालु गाते-बजाते चल रहे थे। समाज और राजनीतिक संगठनों के लोग भी शामिल थे। पूरे जुलूस का जगह-जगह तोरण द्वार बनाकर स्वागत किया जा रहा था। जुलूस में इतने श्रद्धालु उमड़े थे कि महज तीन किलोमीटर की दूरी को तय करने में चार घंटे लग गए।
शहर में दीक्षा महोत्सव को लेकर मुमुक्षु श्रीमती कंचन कोचर और मुमुक्षु क्षमा बोथरा ने रविवार को वर्षीदान वरघोड़े में दोनों हाथों से दान लुटाया। मुमुक्षु श्रीमती कंचन कोचर और मुमुक्षु क्षमा बोथरा का वर्षीदान वरघोड़ा परम पूज्य श्री जिन उदयसागर सूरीश्वर जी मारा साहब, छत्तीसगढ़ विभूषण आचार्य भगवंत परम पूज्य श्री जिन महोदय सागर सुरीश्वर जी मारा साहब सहित आदि साधु-साध्वियों के सानिध्य में निकाला गया।
छह दिवसीय दीक्षा महोत्सव 21 फरवरी को मुमुक्षु श्रीमती कंचन कोचर और मुमुक्षु क्षमा बोथरा का वरघोड़ा इतवारी गंज से होते हुए, सुभाष चौक, राजघाट चौक होते हुए काली पुतली चौक के रास्ते अंबेडकर चौक स्थित उत्कृष्ट स्कूल पहुंचा। इसमें भी बड़ी संख्या में समाज के लोग शामिल हुए।
इसी कड़ी में दोनों ही मुमुक्षु को 22 फरवरी को गुरुजनों द्वारा दीक्षा दी जाएगी।