प्रदेश में पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव के मद्देनजर राज्य निर्वाचन आयोग ने सरकार को तीन साल से एक स्थान पर पदस्थ तहसीलदार और नायब तहसीलदारों के तबादले करने के निर्देश दिए हैं। इससे राजस्व विभाग की मुश्किलें बढ़ गई हैं। दरअसल, विभाग यदि आयोग के निर्देश का पालन करता है तो करीब 40 फीसद यानी 320 से ज्यादा अधिकारियों-कर्मचारियों के स्थानांतरण करने पड़ेंगे। ऐसे में स्थानीय प्रशासन व्यवस्था प्रभावित हो सकती है।
इसके मद्देनजर राजस्व विभाग ने आयोग से अपने निर्देशों पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है। विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी ने आयोग के सचिव को पत्र लिखकर कहा है कि पंचायत चुनाव गैर दलीय आधार पर होते हैं। वहीं, नगरीय निकाय चुनावों में आदर्श आचार संहिता सिर्फ निकाय तक ही सीमित रहती है इसलिए स्थानांतरण करना आवश्यक नहीं होना चाहिए।
राज्य निर्वाचन आयोग ने राजस्व और गृह विभाग को पत्र लिखकर निर्देश दिए हैं कि चार साल की अवधि में तीन साल से एक स्थान पर पदस्थ अधिकारियों के स्थानांतरण करके सूचित करने के निर्देश दिए हैं। आयोग ने कहा है कि चुनाव की निष्पक्षता प्रभावित न हो, इसलिए ज्यादा समय से एक स्थान पर पदस्थ अधिकारियों को हटाया जाए। केंद्रीय निर्वाचन आयोग भी विधानसभा और लोकसभा चुनाव के समय ऐसा ही करता है।
राजस्व विभाग ने जब तहसीलदार और नायब तहसीलदारों के तबादले करने के लिए जानकारी निकलवाई तो पता लगा कि इससे 320 अधिकारी, जो कुल संवर्ग का लगभग चालीस प्रतिशत होते हैं, प्रभावित होंगे। इससे स्थानीय प्रशासन में भी परेशानी आएगी। इसे देखते हुए राजस्व अधिकारी (कनिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी) संघ के प्रतिनिधियों ने भी राज्य निर्वाचन आयुक्त बसंत प्रताप सिंह से मुलाकात की थी।
पिछले दिनों राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी ने आयोग के सचिव को पत्र लिखकर आग्रह किया कि निर्देश पर पुनर्विचार किया जाए। उन्होंने कहा कि अत्याधिक संख्या में स्थानांतरण करने से प्रशासनिक व्यवस्था प्रभावित होगी। वैसे भी पंचायत चुनाव दलीय आधार पर नहीं होते हैं।
नगरीय निकाय के चुनाव की आदर्श आचरण संहिता भी संबंधित नगरीय निकाय तक की सीमित रहती है। ऐसे में तहसीलदार और नायब तहसीलदार को जिले से बाहर पदस्थ करने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। बताया जा रहा है कि आयोग अब प्रमुख सचिव के पत्र का परीक्षण करने के बाद अगले सप्ताह दिशानिर्देश जारी करेगा।