नई दिल्ली : महाराष्ट्र और झारखंड में हुए विधानसभा चुनाव के साथ ही 15 राज्यों की 48 विधानसभा और 2 लोकसभा सीटों के नतीजे आ चुके हैं। इन चुनावी नतीजे से कांग्रेस को निश्चित रूप से झटका लगा है। महाराष्ट्र में पार्टी का प्रदर्शन बिल्कुल निराश करने वाला रहा है। इसके साथ ही पार्टी विभिन्न राज्यों में हुए उपचुनाव में भी उम्मीद के अनुसार प्रदर्शन करने में असफल रही है। सिर्फ कर्नाटक के साथ केरल और महाराष्ट्र की दो लोकसभा सीटों के चुनाव कांग्रेस के लिए अच्छी खबर ले कर आए।
अनुशासन की कमी, गुटबाजी जिम्मेदार
महाराष्ट्र विधानसभा समेत अधिक राज्यों के उपचुनाव में कांग्रेस की रणनीति पूरी तरह फेल नजर आई। वहीं, वोटों के ध्रुवीकरण का भी पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा। पार्टी को कोर वोट बैंक भी दलित-पिछड़ा भी इस बार बंटा नजर आए। पार्टी ने हार की समीक्षा के लिए कमेटियों का गठन किया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने हार के लिए पार्टी में अनुशासन की कमी, पुराने ढर्रे की राजनीतिक के साथ ही गुटबाजी को भी जिम्मेदार ठहराया है। इसके साथ ही हार के लिए जवाबदेही तय करने की बात कही है। इस तरह पार्टी हार के बाद पूरी तरह से दबाव में नजर आ रही है।
मुस्लिम आरक्षण लागू करने का दबाव
कर्नाटक में मुस्लिम समुदाय सरकार पर 4% आरक्षण बहाल करने के लिए दबाव बढ़ा रहा है। इसका लाभ उन्हें पहले मिला था। खासकर तब जब पिछले साल के विधानसभा चुनावों और इस महीने तीन विधानसभा सीटों के लिए हुए उपचुनावों में मतदान पैटर्न से पता चलता है कि समुदाय कांग्रेस पार्टी के पीछे एकजुट रहा। पिछली भाजपा सरकार ने कोटा खत्म कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में एक मामला लंबित है, जिसने इस फैसले पर रोक लगा दी थी।