मूवी रिव्यू: पुष्पा 2 द रूल

0

साल की मच अवेटेड फिल्मों में से एक रही ‘पुष्पा 2: द रूल’ आखिरकार सिनेमाघरों में आ गई है। फिल्म की एडवांस बुकिंग वर्ल्डवाइड 100 करोड़ रही है और इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ऑडियंस में फिल्म का क्रेज किस कदर है। वाकई थिएटर में फिल्म के पहले लॉन्ग फॉर्मेट वाले एक्शन सीन में हीरो अल्लू अर्जुन पुष्पा का ‘फ्लावर नहीं फायर है’ वाला स्वैग सेट कर कर देते हैं और उसके बाद शुरू होता है पुष्पा उर्फ अल्लू अर्जुन का एक ऐसा क्रेजी वर्ल्ड जिसमें एक्शन, रोमांस, हिंसा, हीरोगिरी के वो सारे मसाले मौजूद हैं, जिसके लिए साउथ जाना जाता है। मानना पड़ेगा कि नायक अल्लू अर्जुन, नायिका रश्मिका मंदाना और खलनायक फहाद फासिल परदे पर अपने अभिनय से अंगार लगा देते हैं।

कहानी की बात की जाए, तो पहले भाग में एक आम दिहाड़ी मजदूर रहा पुष्पा राज (अल्लू अर्जुन) चंदन का तस्कर बन चुका है। एक स्मगलर के रूप में अपनी बढ़ती ख्याति के साथ-साथ वह अपने इलाके के लोगों की भलाई के लिए सबकुछ करता है और उनके दिलों का राजा बन जाता है, मगर दूसरी तरफ उसके दुश्मनों में कोई कमी नहीं आई है। एसपी भंवर सिंह शेखावत (फहाद फासिल) से उसकी रार बढ़ चुकी है। शेखावत अतीत की बेइज्जती का बदला लेकर उसकी इंटरनैशनल तस्करी पर लगाम लगाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है, यहां पावर हाथ में आने पर पुष्पा की जिद और अक्खड़पन और बढ़ गया है। पत्नी श्रीवल्ली (रश्मिका मंदाना) उसके सामने सीएम के साथ फोटो खिंचवा लाने की फरमाइश करती है और जब प्रदेश का सीएम फोटो देने से मना कर देता है, तो पुष्पा अपने बाहुबल और पैसों के जोर पर सीएम ही बदलवा देता है।


यहां देखें: ‘पुष्पा 2’ का ट्रेलर

‘पुष्पा 2’ की कहानी

तस्करी के मामले में सिंडिकेट में खुद को चंदन की तस्करी का बेताज बादशाह साबित करने के लिए वह 500 करोड़ की सौदा करता है और उसे पकड़ने के लिए शेखावत एक खतरनाक जाल बिछाता है। श्रीवल्ली की मां बनने की खबर से पुष्पा के जीवन में खुशियां आती हैं, मगर अपने पिता की नाजायज औलाद का दंश उसे कचोटता रहता है, क्योंकि उसका सौतेला भाई, परिवार और उसके समाज के लोग उसे पिता का नाम नहीं देना चाहते। तभी सौतेले भाई की बेटी को दूसरे इलाके के बाहुबली उठा ले जाते हैं। अब घर की बेटी को सम्मान के साथ वापस लाने की जिम्मेदारी पुष्पा की है। क्या पुष्पा अपने घर की बेटी की इज्जत बचा पाएगा? उसे नाजायज समझने वाला उसका परिवार उसे अपनाएगा? क्या पुष्पा शेखावत को मात देकर सिंडिकेट में अपनी धाक जमा पाएगा? इन सारे सवालों के जवाब आपको फिल्म देखने के बाद मिलेंगे।

‘पुष्पा 2’ का रिव्यू

आम तौर पर जब किसी फिल्म का सीक्वल आता है, तब वह कई बार पार्ट वन से उन्नीस साबित होता है, मगर यहां निर्देशक सुकुमार ने दूसरे भाग को हाई ऑक्टेन एक्शन, भव्य सेट्स, इमोशन्स के तगड़े डोज और डांस-म्यूजिक के ग्रेंजर के साथ बुना है। चूंकि वे फिल्म के लेखक भी हैं, तो उनके किरदारों का अजीबो-गरीब कैरेक्टराइजेशन कहानी को दर्शनीय बनाता है। अपनी कहानी के माध्यम से निर्देशक एक तनाव पैदा करता है और फिर उसे अपने किरदारों और सीक्वेंसेज की विचित्रताओं के साथ मंत्रमुग्ध कर देने वाला संसार रचता है। तकनीकी तौर पर फिल्म काफी समृद्ध है। वीएफएक्स हों या मिरोस्लाव कुबा ब्रौजेक की सिनेमैटोग्राफी अथवा यूनिक अंदाज में की गई एक्शन कोरियोग्राफी या फिर देवी श्री प्रसाद के संगीत में भव्य तरीके से फिल्माए गए डांस नंबर्स, ये सभी दर्शकों के लिए किसी विजुअल ट्रीट से कम साबित नहीं होते। फिल्म की खामियों की बात करें, तो कहानी में गहराई की कमी नजर आती है और फिल्म थोड़ी लंबी लगती है, मगर एक खास माइंडसेट के साथ देखने पर दर्शक बहुत जल्दी ही पुष्पा की अराजक दुनिया का हिस्सा बन जाता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here