‘मोगली’ का घर यानी पेंच नेशनल पार्क…। यह मध्यप्रदेश के 6 टाइगर रिजर्व में से एक है। पार्क की न सिर्फ टाइगर बल्कि ‘जंगल बुक’ के किरदार बघीरा यानी ब्लैक पैंथर (तेंदुए) के रूप में भी पहचान है। इसी पार्क में अब बाइसन (गौर) का कुनबा भी बढ़ रहा है, जो टूरिस्टों को रोमांचित कर रहा है। पार्क में 3 हजार से ज्यादा बाइसन है। पिछले कुछ दिनों में नन्हें मेहमानों का आगमन भी हुआ है। ऐसे में बाइसन की संख्या गई है। 8 से 10 वयस्कों के झुंड में तीन से चार बच्चे हैं।
पेंच के डिप्टी डायरेक्टर रजनीश कुमार सिंह ने बताया कि, पेंच में बाइसन का नेक्स्ट जनरेशन आ गया है। पार्क वर्तमान में ‘गौर’ के छोटे बच्चों से भरा हुआ है। जिन्हें अपने झुंड के साथ चरते, हरे-भरे घास के मैदानों में घूमते हुए टूरिस्ट देख रहे हैं। ब्लैक पैंथर और टाइगरों के साथ बायसन को देख टूरिस्ट रोमांचित हो रहे हैं। पार्क के खुलने के बाद से ही टूरिस्टों की संख्या भी बढ़ गई है।
वयस्क बाइसन का ऊपरी हिस्सा काला, पैर सफेद
पेंच में पाए जाने वाले वयस्क बाइसन और बच्चों के शरीर का रंग अलग-अलग देखने को मिल रहा है। वयस्क बाइसन का ऊपरी हिस्सा काला है, जबकि पैर सफेद है। जैसे उन्होंने पैरों में सफेद मौजे पहन रखे हैं। वहीं, ऊपर काला कोट पहना हो। दूसरी ओर बच्चों का ऊपरी हिस्सा ब्राउन है, जबकि पैर सफेद ही है।
झुंड में रहते हैं, ताकि टाइगर-पैंथर से बच सके
बाइसन परिवार के वयस्क सदस्य भी बच्चों को झुंड में ही रख रहे हैं। दरअसल, पेंच में ब्लैक पैंथर के साथ 60 से ज्यादा टाइगर है। वहीं, अन्य मांसाहारी जानवर भी है। इनसे बचाने के लिए बच्चे हमेशा वयस्कों के साथ झुंड में रहते हैं।