मोदी 3.0 में सबकी हिस्सेदारी, कैबिनेट पैनल में सहयोगी दलों को खूब सारे पद

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लोकसभा चुनाव में बीजेपी अपने दम पर बहुमत हासिल नहीं कर पाई। हालांकि एनडीए गठबंधन ने जीत दर्ज की और सरकार भी बना ली। इसी का नतीजा है कि मोदी सरकार 3.0 में गठबंधन के साथियों को खूब जिम्मेदारियां मिल रही हैं। पहले कैबिनेट में और अब कैबिनेट समितियों में एनडीए के सहयोगी दलों को पद दिए गए हैं। 2014 के बाद कैबिनेट पैनल में एनडीए के सहयोगी दलों को इतना प्रतिनिधित्व कभी नहीं मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मंत्रिपरिषद के 9 जून को शपथ लेने के तीन सप्ताह बाद कैबिनेट पैनल की घोषणा की गई है।

सुरक्षा कैबिनेट समिति में कोई बदलाव नहीं
वैसे तो कैबिनेट की नई समतियों में बदलाव हुए हैं, लेकिन एक पैनल अभी भी ऐसा है, तो बिल्कुल नहीं बदला। ये है सुरक्षा पर कैबिनेट समिति। ये पैनल रक्षा व्यय और सुरक्षा तंत्र में वरिष्ठ नियुक्तियों सहित राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित सभी मामलों पर निर्णय लेती है। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली इस समिति में रक्षा, गृह, वित्त और विदेश मंत्री भी शामिल हैं। पहले की तरह उन सभी मंत्रालयों के मंत्री वहीं हैं, जो मोदी 2.0 में थे।

एनडीए के साथियों को भी दी जिम्मेदारी
इसके अलावा राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति में जरूर बदलाव देखने को मिला है। इस समिति को ‘सुपर कैबिनेट’ के रूप में जाना जाता है, जो जो आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों के साथ-साथ केंद्र-राज्य संबंधों को भी देखती है । इस समिति में अब टीडीपी के राममोहन नायडू और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के प्रमुख जीतन राम मांझी को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। मांझी एमएसएमई मंत्री हैं, जबकि नायडू नागरिक उड्डयन मंत्री हैं।

वहीं जेडीयू के ललन सिंह आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति में हैं, जबकि बिहार के एक अन्य प्रमुख सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान को निवेश और विकास संबंधी कैबिनेट समिति में जगह मिली है। ललन सिंह उर्फ राजीव रंजन सिंह के पास पंचायती राज और पशुपालन विभाग हैं और पासवान खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हैं।

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