मौसम का पारा जितना चढ़ा हो, 68 साल के शंकरलाल प्यासे कंठ को कर देते हैं तर

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इन दिनों शहर का पारा 42 डिग्री सेल्सियस के करीब चल रहा है और इस तपती दोपहरी में लोगों का जहां घर से निकलना आसान नहीं होता है, उन हालातों में 68 साल का बुजुर्ग लोगों के प्यासे कंठ को शीतल जल से तर कर खुश कर देतेे हैं। यही वजह है कि अब लोगों के बीच वे वाटरमैन के नाम से जाने जाते हैं। संस्कारधानी का यह संस्कार उनके पहुंचने के बाद लोगों के दिलों को छू जाता है। उनका परिचय इतना ही काफी नहीं है। उनका यह पुण्य कार्य विगत 26 वर्षों से अनवरत चल रहा है। उनका यह तप जेहन में इसलिए भी उतर जाता है कि भीषण गर्मी में भी वह साइकिल चलाते हुए मुस्कुराते हुए अपने संकल्प को पूरा करते हुए नजर आते हैं।

400 लीटर शीतल जल पिलाते हैं रोज

ये वाटरमैन हैं शंकरलाल। उनकी साइकिल पूरी दोपहरी सड़कों पर दौड़ती नजर आती है। वे रोज करीब 400 लीटर शीतल जल लोगों के कंठ तक पहुंचाते हैं। उन्हें गलियों और मोहल्लों में बिना कोई गिला संकोच पानी पिलाते हुए देखा जा सकता है। उनका 26 सालों से चल रहा यह तप काबिल-ए-तारीफ है इसलिए भी है कि इतनी उम्र में उनके चेहरे पर किसी तरह की कोई शिकन नहीं दिखती है।

मिलती है आत्मिक खुशी

भरी दोपहरी जब सड़कें, मोहल्ले और गलियां सूनी दिखाई देती हैं तो भी शंकरलाल की साइकिल का पहिया सड़कों पर घूमता हुआ देखा जा सकता है। यह पानी वह नर्मदा नदी से भरकर लाते हैं। इस तरह उन्हें पानी भरने के लिए घाटों तक कई बार जाना पड़ता है। यह पानी वे छागलों में भरकर लाते हैं। पानी पिलाने का यह कार्य वह पूरी तरह से आत्मिक भाव से करते हैं, जिसका वे किसी से भी कोई पैसा नहीं लेते हैं। उनकी साइकिल में आगे पीछे तख्तियां लगी होती हैं, जिसमें लिखा होता है, चलता फिरता प्याऊ। शंकरलाल का कहना है, उन्हें इस तरह से पानी पिलाने से बेहद खुशी मिलती है और वे आत्मिक रूप से बेहद सुकून महसूस करते हैं। वहीं दूसरी तरफ लोगों के दिलों में उनका यह तप अब खास स्थान बना चुका है और लोग उन्हें काफी सम्मान देते हैं।

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