यूएनएससी में भारत की चीन को दो टूक, आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को भी सुनाई खरी-खरी

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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत ने चीन दो टूक शब्दों में खरी-खरी सुनाई। भारत ने क्षेत्रीय अखंडता और हस्ताक्षर किए गए विभिन्न समझौतों का सम्मान करने का आह्वान किया है। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि यथास्थिति को बदलने के लिए बलपूर्वक की गई जबरदस्ती और एकतरफा कार्रवाई आम सुरक्षा का अपमान है। भारत की ओर से ये बयान तब आया है जब चीन के साथ एलएसी पर लगातार तनाव है। 2020 में गलवान घाटी की हिंसा के बाद दोनों देशों के संबंधों में गिरावट देखने को मिली है।
भारत के स्थायी प्रतिनिधि ने कहा, ‘साझा सुरक्षा तभी संभव है जब देश एक दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करें, ठीक उसी तरह जैसा वह दूसरे से उनकी संप्रभुता के सम्मान की उम्मीद करते हैं।’ विस्तारवाद चीन की पुरानी नीति रही है। 2017 में भी चीन ने डोकलाम का विवाद किया था। डोकलाम तनाव के दौरान चीन ने भूटान के क्षेत्र पर सड़क बनाने की कोशिश की थी।
सामान्य सुरक्षा के मुद्दे पर राजदूत रुचिरा कंबोज ने कहा, ‘सामान्य सुरक्षा तभी संभव है जब देश दूसरों के साथ किए समझौतों का सम्मान करें। भले ही यह द्विपक्षीय हों या बहुपक्षीय। समझौतों को रद्द करने के लिए एकतरफा उपाय नहीं करना चाहिए।’ भारत की ओर से कई बार इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि चीन 1996 और 1993 के समझौतों का सम्मान नहीं कर रहा है, जिसके तहत सीमा पर सैनिकों को न इकट्ठा करने का आह्वान किया गया है।
भारत की राजदूत ने पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर भी इस दौरान घेरा। इसमें उन्होंने कहा, ‘साझा सुरक्षा भी तभी संभव है जब सभी देश आतंकवाद जैसे आम खतरे के खिलाफ एक साथ खड़े हों और इस बारे में जब उपदेश दें तो दोहरे मापदंड न अपनाएं।’ भारतीय राजदूत ने ये बातें ‘मेंटीनेंस ऑफ इंटरनेशनल पीस एंड सिक्योरिटी’ (अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के रखरखाव) की बैठक में कहीं।

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