राजगढ़। हर तरफ गुरुभक्तों का सैलाब… जयकारों से गूंजित होता गगन… मुनि-भगवंत और आचार्यदेवों के दिव्य स्वरूप और 30 करोड़ से निर्मित सात मंजिला इमारत की भव्य झलक…. यह दृश्य था रविवार को जैन समाज के पालीताणा महातीर्थ का। अवसर था राजगढ़ में जन्मे मालव भूषण आचार्यश्री नवरत्नसागर सूरीश्वरजी के सपने को मूर्त रूप देने का।
करीब 18 बरस पहले आचार्यश्री नवरत्न सागरजी ने यह स्वप्न देखा था कि पालीताणा आने वाले मालवा के यात्रियों एवं साधु-साध्वियों को ठहरने में भारी दिक्कतें होती हैं, इसलिए यहां एक ऐसा भवन होना चाहिए, जिसमें यात्रियों के साथ ही मुनिभगवंत व साध्वीवृंद भी ठहर सकें और यहां आध्यात्मिक गतिविधियां भी संचालित हो सकें। इस स्वप्न को आचार्यश्री ने उनके शिष्य युवाचार्यश्री विश्वरत्नसागर सूरीश्वरजी से साझा किया था। गुरु के शब्दों को आज्ञा मान आचार्यश्री विश्वरत्नसागर सूरीश्वरजी ने पालीताणा तीर्थ पर इमारत के निर्माण की प्रक्रिया आरंभ करवा दी। नतीजा यह हुआ कि रविवार को जयालक्ष्मी यात्रिक भवन के लोकार्पण से आचार्यश्री का सपना परिपूर्ण हो गया।
मंगलाचरण से शुरू हुआ कार्यक्रम
रविवार को भवन के लोकार्पण का कार्यक्रम आचार्यश्री विश्वरत्नसागर सूरीश्वरजी के मंगलाचरण से हुआ। जवाहर भाई और कौशिक भाई सहित रमेश भाई हरण व संगीतकार नरेंद्र वाणी गोता ने भगवान के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित किया।
वैयावच्च की होगी बेहतर व्यवस्था, बनेगा धाम
पालीताणा तीर्थ पर साध्वीजी के वैयावच्च की बेहतर व्यवस्था हो सके, इसलिए अलग से एक धाम बनाने की घोषणा भी लोकार्पण अवसर पर हुई। इसे मूर्त रूप देने के लिए हुकमीचंद कोठारी सूरत संकल्पित हुए हैं। उन्होंने बताया कि तलेटी के बिल्कुल नजदीक करीब 16 हजार वर्गफीट पर यह धाम बनाने की योजना तैयार हुई और इसका नाम वैयावच्च धाम होगा। इसमें विशेष रूप से साध्वियों के लिए भी सभी व्यवस्थाएं होंगी। कार्यक्रम में आचार्य अपूर्वमंगलसागर सूरीश्वरजी के शिष्य वज्रतिलकसागरजी ने भी संबोधित कर आचार्यश्री विश्वरत्नसागरजी के जीवन पर प्रकाश डाला और उनकी गुरुभक्ति की अनुमोदना भी की। इस अवसर पर उज्जैन से राजेश जैन, परवीन भाई मुंबई, अंकुरभाई अहमदाबाद सहित जयालक्ष्मी यात्रिक भवन निर्माण के मुख्य लाभार्थी जवाहरभाई अशोकभाई शाह मुंबई भी उपस्थित थे।
गुरुदेव के पुण्यप्रताप का परिणाम
मेरे गुरु ने जो सपना देखा था और जो जवाबदारी दी थी, इसे मैं आज गुरुभक्तों के सहयोग से पूर्ण करने में सफल हुआ हूं। यह सब गुरुदेव के पुण्यप्रताप का ही परिणाम है।