रानी दुर्गावती पंच शताब्दी वर्ष का हुआ आयोजन

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वारासिवनी(पद्मेश न्यूज)। नगर के केशव इंग्लिश स्कूल के परिसर में 6 अक्टूबर को माधवराव गोलवलकर स्मृति न्यास के तत्वावधान में वीरांगना रानी दुर्गावती पंच शताब्दी समारोह व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम मुख्य वक्ता डॉक्टर घनश्याम परते मुख्य अतिथि सूर्यभान सिंह पुसाम कार्यक्रम संयोजक मुलेंद्र सैयाम की उपस्थिति में प्रारंभ किया गया। जिसमें उपस्थित जनों के द्वारा वीरांगना रानी दुर्गावती के छायाचित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर माल्यार्पण किया गया। जिसमें कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बताया गया की रानी दुर्गावती का जन्म 5 अक्टूबर 1524 बलिदान 24 जून 1564 को हुआ था। वह 1550-1564 ई. में गोंडवाना की रानी थीं उन्होंने गोंडवाना के राजा संग्राम शाह के बेटे राजा दलपत शाह से विवाह किया। अपने बेटे वीर नारायण के नाबालिग होने के दौरान उन्होंने 1550 से 1564 तक गोंडवाना की रीजेंट के रूप में काम किया।वीरांगना महारानी दुर्गावती साक्षात दुर्गा थी जिन्होंने अपनी मातृभूमि और आत्मसम्मान की रक्षा हेतु अपने प्राणों का बलिदान दिया। वीरतापूर्ण चरित्र वाली इस रानी ने अंत समय निकट जानकर अपनी कटार स्वयं ही अपने सीने में मारकर आत्म बलिदान के पथ पर बढ़ गईं।रानी दुर्गावती का विवाह गढ़ा-मंडला के तेजस्वी सम्राट संग्रामशाह के ज्येष्ठ पुत्र दलपतिशाह के साथ हुआ था। उन्होंने अनेक मंदिर, मठों, धार्मिक प्रतिष्ठानों सहित प्रजाहित में जलाशयों का निर्माण, धर्मशाला और संस्कृत पाठशालाओं की व्यवस्था की थी सहित अन्य वर्णन सुनाते हुए अंत मे दुर्गावती के पराक्रम की कविता का गायन भी किया गया। जहाँ छात्रा को रानी दुर्गावती के परिचय की पुस्तक भेंट की गई। पद्मेश से चर्चा में संजय मांधाता ने बताया कि वीरांगना रानी दुर्गावती की जयंती 5 अक्टूबर को थी तो उसे 6 अक्टूबर को हमारे द्वारा रानी दुर्गावती पंच शताब्दी समारोह व्याख्यान के रूप में माधवराव गोलवलकर स्मृति न्यास वारासिवनी के तत्वावधान में आयोजित किया गया। जिसमें वक्ताओं के द्वारा रानी दुर्गावती के जन्म से पराक्रम तक समस्त गाथाओं का वर्णन किया गया। रानी ने अपने जीवन में 52 लड़ाई लड़ी साम्राज्य और जनता को बचाने के लिए जिसमें वह 51 जीती किंतु अंत में उन्होंने स्वयं बलिदान दे दिया। यह बताता है कि उनके पराक्रम कैसा था जिनके बारे में हमारी भावी पीढ़ी को अध्ययन कर प्रेरणा लेनी चाहिए। इस अवसर पर गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में मौजूद रहे।

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