रूस-उत्तर कोरिया की डिफेंस डील से टेंशन में आया चीन, जिनपिंग को नहीं पसंद आएगी किम-पुतिन की करीबी, जानें

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चीन ने खुद को एक शांतिपूर्ण देश के रूप में स्थापित करने की कोशिश की है, जो दुनिया को प्रतिद्वंद्वी खेमों में नहीं बांटता है। इसके विपरीत वह अमेरिका पर गठबंधन बनाने और दुनिया को एक नए शीत युद्ध की ओर ले जाने का आरोप लगाता है। लेकिन इस बीच रूस और उत्तर कोरिया ने ऐतिहासिक आपसी रक्षा संधि की है, जो दोनों देशों को युद्ध की स्थिति में एक दूसरे को तत्काल सैन्य सहायता प्रदान करने का आह्वान करती है। ये संधि चीन की टेंशन बढ़ाने वाली है। क्योंकि अभी तक जिस तरह का आरोप चीन अमेरिका पर लगाता था। वही काम अब चीन के सबसे करीबी रणनीतिक साझेदार रूस और उत्तर कोरिया ने किया है। ये संधि पूर्वोत्तर एशिया में शीत युद्ध के टकराव को बढ़ा सकती है।

यह समझौता चीन, रूस और उत्तर कोरिया के त्रिपक्षीय समझौते जैसा लगता है, जिससे बीजिंग बचना चाहता है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक वाशिंगटन के स्टिमसन सेंटर में चीन कार्यक्रम के निदेशक युन सन ने कहा कि चीन बेहद सावधानी से इससे दूर रहना चाहता है। वह अपने विकल्प खुले रखना चाहता है। इतना ही नहीं, रूस और उत्तर कोरिया का समझौता जापान, अमेरिका और दक्षिण कोरिया को अपनी सुरक्षा बढ़ाने को मजबूर कर सकता है। क्योंकि उत्तर कोरिया से पहले ही इन्हें खतरा है। इन देशों का चीन के करीब अपनी सुरक्षा मजबूत करना भी जिनपिंग के लिए टेंशन की बात है।

क्या है समझौता

इन कारणों से लगता नहीं कि शी जिनपिंग को रूस और उत्तर कोरिया की दोस्ती पसंद आएगी। बुधवार को उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग में मुलाकात करते हुए पुतिन और किम ने रक्षा समझौते को अपने संबंधों में एक नए युग की शुरुआत बताया। एक देश पर हमला दूसरे पर हमला माना जाएगा। विश्लेषकों ने कहा कि समझौते ने दोनों देशों के साथ चीन की साझेदारी की सीमाओं को भी उजागर किया है। शी जिनपिंग पहले घोषणा कर चुके हैं कि पुतिन के साथ उनके संबंधों की कोई सीमा नहीं है।

चीन की क्या हैं टेंशन?

  • रूस और उत्तर कोरिया दोनों के ही नेता अगला कदम क्या लेंगे इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। यूक्रेन में रूस की कार्रवाई और किम जोंग की परमाणु ताकत बनने की चाहत एक अस्थिर जियोपॉलिटिक्स का माहौल बनाती हैं। इनके एक्शन चीन को ऐसी स्थिति में ले जा सकते हैं, जिससे वह बचना चाहता है।
  • चीन की अर्थव्यवस्था इस समय संघर्ष कर रही है। इसे विकास के लिए स्थिर अंतर्राष्ट्रीय वातावरण चाहिए। रूस और उत्तर कोरिया का समझौते में चीन भी घसीटा जा सकता है, जो उसके लिए और भी मुश्किल पैदा करेगी।
  • चीन के पश्चिमी देशों के साथ पहले से ही संबंध तनावपूर्ण हैं। यह समझौता इसे और भी मुश्किल बनाने वाला है।
  • रूस और उत्तर कोरिया की बढ़ती दोस्ती से भी चीन परेशान है। क्योंकि अभी तक उत्तर कोरिया पर चीन का काफी नियंत्रण है। इससे उसका कंट्रोल कमजोर हो सकता है।

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