रूस से आ रहा सस्ता तेल:फिर भी देश में नहीं घटीं पेट्रोल-डीजल की कीमतें, 10 महीनों से इसके दाम स्थिर

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भारत अंतरराष्ट्रीय बाजार से जिस औसत भाव पर कच्चा तेल खरीदता है, उसके मुकाबले रूस से आया क्रूड बीते साल जून में 16 डॉलर सस्ता रहा। ये अंतर 1,310 रुपए प्रति बैरल है। बीते साल अप्रैल से इस साल मार्च के लिए ये औसत अंतर 7 डॉलर यानी 573 रुपए प्रति बैरल से ज्यादा है। बीते महीने भारत ने अपनी जरूरत का लगभग 39 फीसदी कच्चे तेल का आयात रूस से किया। इसके बावजूद करीब 10 महीनों से पेट्रोल और डीजल के दाम स्थिर हैं। आइए सझते हैं कि ऐसा क्यों है…

1. गैर-पारदर्शी फॉर्मूला
इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम पेट्रोल और डीजल के दाम दुनियाभर में पेट्रोल और डीजल की कीमतों के हिसाब तय करती हैं, न कि क्रूड के दाम के आधार पर। यूरोप जैसे बाजारों में ये ईंधन काफी महंगे हो गए हैं, लिहाजा भारत में इनके दाम ऊंचे हैं।

2. बचत का इस्तेमाल घाटा पाटने में
सरकारी ऑयल रिफाइनिंग कंपनियां रूसी तेल के आयात से बचत का इस्तेमाल घाटा पाटने में कर रही हैं। इन कंपनियों का दावा है कि, सरकार की तरफ से तय भाव पर रसोई गैस (LPG) जैसे प्रोडक्ट बेचने के चलते उन्हें नुकसान हो रहा है।

3. सरकारी नीति
लागत से कम दाम पर रसोई गैस बेचने से कंपनियों हो रहे नुकसान के लिए सरकार ने इस साल सिर्फ 22,000 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी है। कंपनियों का दावा है कि वास्तविक नुकसान इसके दोगुना से भी ज्यादा है। इसकी भरपई उन्हें खुद करनी पड़ रही है।

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गैस सिलेंडर 50 रुपए महंगा हुआ:कॉमर्शियल सिलेंडर के दाम में 350 रुपए बढ़े
1 मार्च को 14.2 किलोग्राम वाले घरेलू LPG सिलेंडर के दाम 50 रुपए बढ़ गए थे। दिल्ली में इसकी कीमत 1103 रुपए हो गई। इससे पहले 6 जुलाई 2022 को दामों में बदलाव किया गया था। तब भी कीमतें 50 रुपए बढ़ाई गई थी।

वहीं, 19 किलो वाले कॉमर्शियल सिलेंडर के दाम में 350.50 रुपए का इजाफा किया गया। दिल्ली में ये अब 2119.50 रुपए का मिल रहा है। इस साल कॉमर्शियल सिलेंडर की कीमतों में यह दूसरी बढ़ोतरी है। 1 जनवरी को कीमतों में 25 रुपए का इजाफा किया गया था

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