कोरोनाकाल में भारतीय रेलवे ने लगातार पटरियों की मरम्मत करके ट्रेनों की स्पीड काफी हद तक बढ़ा दी है। इसके बाद से सुपरफास्ट ट्रेन राजधानी कभी कभार ही लेट होती है। ट्रेन के ज्यादा लेट होने पर भारतीय रेलवे यात्रियों को मुआवजा भी देता है। ऐसे में वडोदरा से मुंबई जाने वाली सुपरफास्ट राजधानी एक्सप्रेस को 25 मिनट तक रुकी रही और किसी यात्री ने इसको लेकर नाराजगी भी नहीं जाहिर की। इसकी वजह था मगरमच्छ का रेस्क्यू। एक मगरमच्छ रेलवे ट्रैक पर पड़ा हुआ था, जिसे बचाने के लिए राजधानी एक्सप्रेस को 25 मिनट तक रोका गया, लेकिन मगरमच्छ को नहीं बचाया जा सका।
वडोदरा से मुंबई के बीच रेलवे ट्रैक पर एक घायल मगरमच्छ ट्रैक के बीच में पड़ा था और दर्द से तड़प रहा था। आठ फीट लंबे मगरमच्छ का जीवन बचाने के लिए राजधानी एक्सप्रेस के अलावा वडोदरा-मुंबई लाइन पर चलने वाली अन्य ट्रेनें लगभग 45 मिनट के लिए रोक दी गईं थी। रेलवे अधिकारियों और पशु कार्यकर्ताओं ने मगरमच्छ को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया लेकिन उसे नहीं बचाया जा सका।
रेस्क्यू के लिए रोकी ट्रेन
वन्यजीव कार्यकर्ता हेमंत वाधवाना ने बताया “मुझे कर्जन रेलवे स्टेशन के स्टेशन अधीक्षक ने लगभग 3.15 बजे फोन किया कि रेल ट्रैक पर एक मगरमच्छ पड़ा है। इसे रेलवे के एक गश्ती दल ने कर्जन मियागाम रेलवे स्टेशन से करीब पांच किलोमीटर दूर देखा था। घायल मगरमच्छ कहीं बीच में पड़ा था और वहां जल्दी पहुंचना संभव नहीं था। मैं अपने वाहन में पशु कार्यकर्ता नेहा पटेल के साथ तुरंत वहां पहुंचा। हालांकि, कर्जन रेलवे स्टेशन तक पहुंचने के बाद, हमें पता चला कि रेलवे अधिकारियों ने राजधानी एक्सप्रेस को लगभग 20 मिनट के लिए रोक दिया था ताकि हम ट्रैक पर जाकर मगरमच्छ को रेस्क्यू करा सकें। उसके बाद ट्रेन 5 मिनट और रोकी गई।”
इस वजह से नहीं बचा मगरमच्छ
वन्यजीव कार्यकर्ता के अनुसार वहां मौजूद रेलवे स्टाफ ने उन्हें बताया कि मगरमच्छ कुछ देर से अपना जबड़ा हिला रहा था। जांच के बाद पता चला कि उसके सिर पर गंभीर चोटें आई हैं। इसके कुछ ही मिनट बाद उसकी मौत हो गई। अग्निवीर प्राणिन फाउंडेशन की कार्यकर्ता नेहा पटेल ने कहा कि मगरमच्छ को किसी तेज रफ्तार ट्रेन ने कुचल दिया था। मगरमच्छा को किसान ट्रेन में रखकर कर्जन रेलवे स्टेशन पर लाकर वन विभाग को सौंप दिया गया। इसके बाद इस ट्रैक पर ट्रेनों की आवाजाही शुरू हुई।