नई दिल्ली: रॉबिन उथप्पा भारतीय क्रिकेट में एक जाना पहचाना नाम हैं। उथप्पा ने 2006 में टीम इंडिया के लिए डेब्यू किया था। उथप्पा 2007 वर्ल्ड टी20 चैंपियन टीम के सदस्य थे और उन्होंने आईपीएल व घरेलू टूर्नामेंट्स में धमाकेदार प्रदर्शन करके अपना अलग नाम बनाया है। उथप्पा को अपने करियर के दौरान महान सचिन तेंदुलकर के साथ खेलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उथप्पा ने हाल ही में खुलासा किया था कि उन्होंने 2008 में सचिन तेंदुलकर की एक बात नहीं मानी थी, लेकिन अब उस पर पूरी तरह विश्वास करते हैं। आखिर उथप्पा और मास्टर ब्लास्टर के बीच तब क्या बातचीत हुई थी, चलिए आपको बताते हैं।
रॉबिन उथप्पा ने स्पोर्ट्सकीड़ा से बातचीत करते हुए इस घटना का जिक्र किया था। उथप्पा ने कहा, ‘मुझे याद है कि 2008 में हम सीबी सीरीज खेल रहे थे। मैं तब 21-22 साल का था और सचिन तेंदुलकर पाजी 30 पार कर चुके थे। वो मुझे कह रहे थे कि 33-34 की उम्र के बाद शरीर का ख्याल रखना कितना मुश्किल होता है। मैंने कहा- पाजी आप खुद को देखिए, आप कितने फिट हैं। आपने 20 साल से ज्यादा समय तक क्रिकेट खेली है। आप ऐसा कैसे कह सकते हैं? और उन्होंने कहा- रॉबिन तुम्हें तब एहसास होगा जब 30-32 की उम्र पार कर जाओगे। मैंने तब यह बात मानने से इंकार कर दिया था।’
पाजी ने एकदम सही बात कही थी: उथप्पा
रॉबिन उथप्पा ने आगे कहा, ‘सचिन तेंदुलकर ने मुझसे पूछा कि तुम्हें क्या लगता है, कब तक खेलना चाहते हो? मैंने कहा- पाजी 40 तक तो खेलने की इच्छा है। उन्होंने कहा- मैं तुमसे तब बात करूंगा जब तुम इस उम्र को पार कर जाओगे। तेजी से देखा जाए तो उस बात को 12 साल गुजर चुके हैं और मैं बहुत शर्मिंदगी व ईमानदारी से कहता हूं कि सचिन तेंदुलकर पाजी एकदम सही थे।’
रॉबिन उथप्पा ने बताया कि कैसे खेल विशेषकर क्रिकेट एथलीट के शरीर पर भारत लेता है। उन्होंने 20 से 30 की तरफ बढ़ने वालों के बदलाव के बारे में बात की और बताया कि शरीर कैसे अलग तरह रिएक्ट करता है। उथप्पा ने कहा, ‘मुझे याद है कि जब 32 की उम्र पार की तो शरीर के कई हिस्सों से पहले के जैसे प्रतिक्रिया देना बंद कर दी। बदलाव बहुत तेज हुआ। एक खिलाड़ी के रूप में आप अपने शरीर को अभद्र करते हैं। हमारी क्रियाविधि और मानव शरीर खेल के लिए निर्मित नहीं होते।’
उथप्पा ने आगे कहा, ‘तो हम शारीरिक रूप से अपने शरीर को बहुत कष्ट देते हैं और अपनी ट्रेनिंग व डाइट से इसे संतुलित करने का प्रयास करते हैं। फिर आप अचानक देखते हैं कि एक समय के बाद आप अपने शरीर को ज्यादा कष्ट नहीं दे सकते। आप इतनी ज्यादा ट्रेनिंग करते हो कि अब बस संतुलन बनाने की सोचते हो।