लड़की देखते ही किन लोगों में जागता है जानवर…निर्भया गैंगरेप और क्राइम पैटर्न थ्योरी से समझिए प्रीडेटर पर्सनालिटी

0

नई दिल्ली: 12 साल पहले 16 दिसंबर, 2012 की रात को जब दिल्ली में निर्भया से गैंगरेप हुआ। उसे इतनी बेरहमी और बेदर्दी के साथ मरा समझकर सड़क के किनारे फेंक दिया गया कि कुछ दिन बाद ही वह जिंदगी की जंग हार गई।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, 2012 में देश में सालाना 25,000 रेप के मामले दर्ज किए गए थे। तब से लेकर आज तक रेप के मामले बढ़कर 31 हजार के पार पहुंच चुके हैं। हालात यह है कि कोलकाता की डॉक्टर से बर्बर रेप और मर्डर जैसी क्रूर घटना को अंजाम दिया गया। आज जानते हैं कि देश में रेप के मामलों के क्या हालात हैं? ऐसे मामलों में सजा की दर कितनी होती है? रेप जैसी वारदात को अंजाम देने वाले दरिंदे कौन होते हैं और इन्हें कैसे पहचान सकते हैं?

कौन होते हैं रेपिस्ट और ऐसे दरिंदे की पहचान क्या है

विताले और न्यूमैन की 2001 में की गई एक स्टडी के अनुसार, जिन लोगों में साइकोपैथिक पर्सनालिटी ट्रेट्स होते हैं, वो दिखने में आकर्षक हो सकते हैं। वो गैर जिम्मेदार, निर्भीक और निर्मम होते हैं। ऐसे लोग पीड़िता से संबंध बनाने के लिए किसी भी हद तक गुजर सकते हैं। वो उस पर दबाव बनाते हैं। यहां तक कि रेप जैसी वारदात को भी अंजाम देते हैं।

प्रीडेटिर पर्सनालिटी बेहद खतरनाक, इसे समझिए

दिल्ली में एडवोकेट शिवाजी शुक्ला के अनुसार, जो लोग रेप और मर्डर जैसे अपराध करते हें, उनकी प्रीडेटर पर्सनालिटी होती है। अपराधशास्त्र के अनुसार ऐसे लोग लड़की को शिकार मानते हैं और खुद को शिकारी। ये आमतौर पर दिखने में अच्छे होते हैं और आम लोगों के बीच इतना घुल-मिलकर रहते हैं कि आसानी से पहचाने नहीं जाते। हालांकि, इनकी पर्सनालिटी बायपोलर होती है। ये घात लगाकर अंधेरे में अपने शिकार को ताड़ते हैं और उनकी रेकी करते हैं। मौका पाकर अपनी हवस पूरी करने के बाद उसे मार डालते हैं। ये पैराफिलिया पर्सनालिटी का ही एक प्रकार है। नीचे दिए ग्राफिक से समझते हैं कि किस तरह के पैराफिलिया ज्यादा खतरनाक होते हैं। वैसे तो पैराफिलिया 500 से ज्यादा तरह के होते हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here