आलू-प्याज और लहसुन का कारोबार सुस्ती की चपेट में है। देवी अहिल्याबाई होलकर (चोइथराम) थोक मंडी में आलू-प्याज और लहसुन में माल की आवक सीमित मात्रा में है। इसके बावजूद दाम और व्यापार में तेजी नहीं दिख रही। लहसुन के कम दामों को लेकर तो शोर मच चुका है लेकिन आलू और प्याज के हाल भी बेहाल है। शुक्रवार को मंडी में प्याज की आवक करीब 30 हजार बोरी ही रही। सुपर क्वालिटी का प्याज भी 1000 रुपये क्विंटल तक ही बिक रहा है। दरअसल प्याज में बाहरी मांग सिमट गई है। ऐसे में सिर्फ स्थानीय बाजार और मांग से प्याज के दामों में तेजी या मजबूती की उम्मीद करना मुश्किल है। कारोबारी मान रहे हैं कि वह तो आवक कम है इसलिए दाम इस स्तर पर भी टिके हुए हैं। यदि एक साथ आवक बढ़ जाए तो दाम और गिर सकते हैं।
दरअसल प्याज में एक साथ सभी क्षेत्रों का माल निकलने और आवक होने से तेजी नहीं बन पा रही। मालवा, निमाड़ के साथ सागर और नासिक के माल की आवक तो है ही। बंगाल में भी प्याज की इस समय आवक बनी हुई है। बांग्लादेश में भी नया प्याज आ रहा है। बर्मा में भी प्याज की आवक है। नेपाल में भी प्याज की आवक है। ऐसे में बाहर से प्याज की डिमांड नहीं है। इंदौर के कारोबारी ओमप्रकाश गर्ग कह रहे हैं कि आने वाले 10-15 दिनों तक प्याज में सुधार या मांग निकलने की उम्मीद दिख भी नहीं रही। इसी तरह आलू का बाजार भी मंदा है।
मंडी में आगरा से तो आलू की आवक हो ही रही है कोल्ड स्टोरेज से भी अब आलू निकलने लगा है। जबकि गर्मियों में आलू की उपभोक्ता मांग काफी कमजोर पड़ जाती है। लहसुन में शुक्रवार को बाजार स्थिर रहा लेकिन ज्यादातर माल जो मंडी में आ रहा है वो हल्की क्वालिटी का है। व्यापारियों के अनुसार 80 प्रतिशत तक लहसुन कमजोर क्वालिटी की है ऐसे में उसके दाम भी 1000 से 1200 रुपये प्रति क्विंटल से ज्यादा नहीं मिल रहे। अच्छा माल थोड़ा आ रहा है जो 3500 तक बिक रहा है। आलू की आवक 35 हजार बोरी तक है। लहसुन की आवक भी 40 हजार बोरी रही।