लेख: हम दो हमारे जीरो… ये कपल क्यों नहीं चाहते बच्चे, क्यों बदल रही है सोच?

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मुबारक हो… आपको लड़का हुआ है… बधाई हो आपको लड़की हुई है। 9 महीने के लंबे इंतजार के बाद जब यह चंद लाइन कानों में पड़ती हैं, तब उस वक्त माता-पिता के लिए यह किसी सुखद अहसास सा होता है। घर परिवार में तो जैसे उत्साह और उमंग का संचार होने लगता है। चारों ओर उत्सव सा नजारा होता है। भारतीय परिवारों में तो इसे धूमधाम से मनाया जाता है। हिंदू परिवारों में तो बच्चे को भगवान का रूप कहा जाता है, लड़की होने पर उसे लक्ष्मी की संज्ञा दी जाती है, लेकिन कुछ कपल ऐसे हैं जिन्हें हम दो हमारे जीरो पर विश्वास है।

शादी के 4 साल बाद दिल्ली की सुरभि जैन और उनके जीवनसाथी को अपने बच्चे न होने पर कोई दुख नहीं है। शुरभि का कहना है कि मेरे साथी और मेरे पास एक शानदार जीवनशैली है। हम दोनों कमाते हैं,बहुत यात्राएं करते हैं,अक्सर बिजनेस क्लास में सफर करते हैं। मैं उठ सकती हूं और जो चाहूं कर सकती हूं। यह सब एक बच्चे के साथ बाधित हो जाएगा। तो आपको ऐसे ही कपल से आज मिलाते हैं जिनके लिए बच्चा न होना कोई बड़ी बात नहीं है।

शुरभि जैन कहती हैं कि सबसे अच्छे बच्चे आपके पड़ोसी के होते हैं। आप उनका कुछ घंटों के लिए आनंद ले सकते हैं और जब वे परेशान होने लगते हैं, तो वे अपने माता-पिता के पास वापस जा सकते हैं। जैन पालतू जानवर भी नहीं पालना चाहतीं। शुरभि 35 वर्षीय एमएनसी में काम करती हैं। RSS प्रमुख मोहन भागवत भले ही कपल से कम से कम तीन बच्चे पैदा करने का आग्रह कर रहे हों, लेकिन महिलाएं बच्चे पैदा करने को राष्ट्रीय कर्तव्य मानने या सामाजिक और सांस्कृतिक दबावों के आगे झुकने से बहुत दूर हैं।

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