वाटर हार्वेस्टिंग नियम का कागजों मे हो रहा पालन

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शासन प्रशासन द्वारा जल संरक्षण को लेकर तमाम तरह के प्रयास किए जा रहे हैं बावजूद इसके भी लोगों में जल संरक्षण को लेकर जागरूकता नहीं आई है। लोग जल संरक्षण कि ओर अपने कदम नहीं बढ़ा रहे हैं जिसके चलते जल संरक्षण का यह अभियान महज कागजों में सिमटता नजर आ रहा है।

नगरपालिका ने नए बन रहे मकानों के लिए गाइड लाइन तय कर रखी है, पर इसका कहीं पर भी पालन नहीं हो रहा। केवल आम लोग ही नहीं बल्कि कई शासकीय कार्यालयों में भी अनिवार्य वाटर हार्वेस्टिंग के इस नियम कि धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं और नगर में महज गिने-चुने शासकीय कार्यालयों और आम लोगों के घरों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया गया है।

नगर पालिका की गाइड लाइन के अनुसार जब भी नगर पालिका से भवन निर्माण की अनुमति जारी की जाती है तो भवन निर्माण कराने वाले व्यक्ति को वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने की जानकारी दी जाती है और 7हजार रु डिपाजिट जमा कर उन्हें वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली लगाने को कहा जाता है यदि भवन निर्माण करा रहा वह व्यक्ति अपने भवन में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा लेता है तो जमा कराई यहां राशि उसे वापस कर दी जाती है।

मुख्य नगरपालिका अधिकारी सतीश मटसेनिया ने बताया की वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अनिवार्य है बिल्डिंग की परमिशन के साथ ही वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने की भी समझाइश दी जाती है  ताकि बरसात का पानी धरती में चला जाए और जल स्तर ऊंचा हो। जिन घरों,बिल्डिंगो,या कार्यालयो में अब तक वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नही लगा होगा उन्हें पुना: नोटस जारी किए जाएंगे।

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