शासन प्रशासन द्वारा जल संरक्षण को लेकर तमाम तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। बावजूद इसके भी लोगों में जल संरक्षण को लेकर जागरूकता नहीं आई है और लोग जल संरक्षण कि ओर अपने कदम नहीं बढ़ा रहे हैं।जिसके चलते जल संरक्षण का यह अभियान महज कागजों में सिमटता नजर आ रहा है।प्रतिवर्ष शासन प्रशासन, नेतागण व समाज सेवियों सहित जागरूक नागरिकों द्वारा जल संरक्षण को लेकर तरह-तरह के कसीदे गढ़े जाते हैं जल को व्यर्थ बहने से रोकने की बातें की जाती है वही जल को बचाने के लिए तरह तरह के अभियान चलाए जाते हैं।जो इस वर्ष भी शासन स्तर से चलाए गए है।जल संरक्षण अभियान के लिए लाखों रु खर्च किए जा रहे है।लेकिन जल के संरक्षण के लिए बने नियम का पूर्णता पालन नहीं किया जाता। जी हां हम बात कर रहे हैं वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की। जिसकी अनिवार्यता को लोग हल्के में ले रहे हैं और जहां-तहां इस नियम को ताक में रख धड़ल्ले से नए भवनों का निर्माण कराया जा रहा है। जहां लोगो द्वारा नए भवनों का निर्माण तो कराया जा रहा है लेकिन उन भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लगाया जा रहा है जिसके चलते अनिवार्य वाटर हार्वेस्टिंग का यह नियम सरकारी फाइलों की शोभा बना हुआ है।हालांकि नगरपालिका ने नए बन रहे मकानों के लिए गाइड लाइन तय कर रखी है,पर इसका कहीं पर भी पालन नहीं हो रहा।केवल आम लोग ही नहीं बल्कि कई शासकीय कार्यालयों में भी अनिवार्य वाटर हार्वेस्टिंग के इस नियम कि धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं और नगर में महज गिने-चुने शासकीय कार्यालयों और आम लोगों के घरों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा हुआ नजर आता है।
क्या कहता है नियम
नगर पालिका की गाइड लाइन के अनुसार जब भी नगर पालिका से भवन निर्माण की अनुमति जारी की जाती है तो भवन निर्माण कराने वाले व्यक्ति को वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने की जानकारी दी जाती है वही वाटर हार्वेस्टिंग की रकम जमा कराकर उन्हें वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली लगाने को कहा जाता है यदि भवन निर्माण करा रहा वह व्यक्ति अपने भवन में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा लेता है तो जमा कराई यहां राशि उसे वापस कर दी जाती है।यदि एक समय सीमा के भीतर भवन निर्माण कराने वाला व्यक्ति अपने मकान में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लगाता तो नगर पालिका द्वारा उस व्यक्ति की जमा की गई राशि से उसके भवन में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने का नियम बनाया गया है लेकिन नियमों को ताक में रख बालाघाट नगर में भवनों का निर्माण कराया जा रहा है और यह नियम भी अन्य नियमों की तरह सरकारी फ़ाइलों की शोभा बढ़ाता नजर आ रहा है।
सरकारी फाइलों में दम तोड़ रही योजना
शहरी सीमा क्षेत्र में हर साल सैकड़ों मकान बन रहे हैं पर उन मकानों में वाटर हार्वेस्टिंग का निर्माण नहीं हो रहा है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के बगैर तैयार हो रहे मकानों को देखने की फुर्सत भी नपा के पास नहीं है। यदि लोग गंभीरता से यह सिस्टम अपने घरों में लगाते हैं तो करोड़ों लीटर पानी व्यर्थ बहने से रोका जा सकता था।वही करोड़ों लिटर पानी धरती के गर्भ में संरक्षित होता।लेकिन पानी बचाने को लेकर लोग गंभीर नहीं हैं और शासकीय योजनाएं भी फ़ाइलों में ही दम तोड़ रही हैं।
योजनाओं का नही हो रहा सही क्रियान्वयन
नगरपालिका क्षेत्र में भवन बनाने वालों के लिए नए नियम के तहत मकान निर्माण के साथ वाटर हार्वेस्टिंग बनवाना अनिवार्य है।लेकिन अधिकांश लोग नगर पालिका से भवन बनाने का नक्शा तो पास करा लेते हैं पर वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लगाते। जबकि नियम में मकान बनाने वाले को मकान में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना जरूरी बताया गया है अभी भी शहर में सैकड़ों मकानों का निर्माण हो रहा है। कॉलोनियां बसाई जा रही है पर वहां भी इसकी कोई मानिटरिंग नहीं हो रही। जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए सरकारी निर्माण एजेंसियां भी वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाने को लेकर गंभीर नहीं है।
7 साल पूर्व जारी किए गए थे नोटिस, पर नहीं हुआ कोई असर
जल के संरक्षण के लिए नगर पालिका द्वारा लगभग 7 वर्ष पूर्व सभी शासकीय कार्यालयों में नोटिस जारी कर वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने के निर्देश दिए गए थे। इन निर्देशों के बावजूद भी जिम्मेदार अधिकारियों पर इसका कोई असर नहीं पड़ा और आज भी ऐसे कई शासकीय कार्यालय हैं जहां वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लगा है सवाल यह है कि जब सरकारी महकमा ही वाटर हार्वेस्टिंग के इस नियम का पालन नहीं कर रहा है तो फिर आम लोग भला इस नियम का पालन कैसे करेंगे वही इस नियम को लेकर लोगों में जन जागरूकता कैसे आएगी।
तो भू जलस्तर कैसे उठेगा ऊपर
रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम में छत का पानी पाइप के सहारे सीधे जमीन में पहुंचता है।इससे वाटर लेवल बढ़ता है। इसमें रेत, गिट्टी, बजरी गिट्टी तथा ईंट के टुकड़ों का उपयोग किया जाता है। जानकार बताते हैं कि इस तरह से वर्षा जल संरक्षित करने से काफी हद तक जल सुरक्षित हो जाता है। भूगर्भ का जल स्तर बढ़ने से पानी की किल्लत का सामना नहीं करना पड़ता।लेकिन जब गिने चुने भवनों को छोड़कर पूरे शहर में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया ही नही गया है तो फिर बरसात का पानी संरक्षित कैसे होगा,औऱ भूमी के गर्भ में पहुच चुका वाटर लेबल कैसे ऊपर आएगा ये चिंता का विषय है।
नोटिस जारी कर वैधानिक कार्यवाही की जाएगी- लिल्हारे
इस पूरे मामले को लेकर की गई चर्चा के दौरान प्रभारी मुख्य नगरपालिका अधिकारी बीएल लिल्हारे ने बताया कि वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना हर किसी को अनिवार्य है।बिल्डिंग परमिशन के समय इसके बारे में बताया जाता है ताकि लोग अपने घरों व भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाएं ।बहुत से लोग अपने घरों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा भी रहे हैं।जो वर्तमान में भवनों का निर्माण हो रहा है, उन्हें और जिन लोगो ने वर्तमान में भवन बनाए है उन्हें नोटिस जारी कर वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने कहा जाएगा।यदि वे नही मानते तो वैधानिक कार्यवाही की जाएगी.हमारी अपील है कि सभी अपने भवनों मे वाटर हार्वेस्टिंग लगाएं ताकि बरसात के पानी को संरक्षित किया जा सके।