विक्रम की ‘थंगालन’ की रिलीज पर संकट के बादल! मद्रास हाई कोर्ट ने सूर्या की ‘कंगुवा’ को भी थमाया नोटिस

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चियान विक्रम की ‘थंगालन’ जहां एक ओर 15 अगस्‍त को पैन इंडिया रिलीज की तैयारी कर रही है, वहीं मद्रास हाई कोर्ट ने सोमवार को इस पर तत्‍काल रोक लगा दी है। इतना ही नहीं, उच्‍च न्‍यायालय ने सूर्या की ‘कंगुवा’ की रिलीज पर भी रोल लगाते हुए नोटिस जारी किया है। दोनों ही बड़े बजट की तमिल फिल्में हैं। इनमें से ‘कंगुवा’ का ट्रेलर सोमवार को ही रिलीज किया गया है और यह फिल्‍म 10 अक्‍टूबर 2024 को रिलीज होने वाली है।

जस्‍ट‍िस जी. जयचंद्रन और जस्‍ट‍िस सीवी कार्तिकेयन की बेंच ने केई ज्ञानवेलराजा के स्टूडियो ग्रीन प्रोडक्शन कंपनी को बुधवार (14 अगस्त) तक आधिकारिक तौर पर दोनों फिल्मों के लिए ऑफ‍िश‍ियल असाइनी को एक-एक करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश दिया है। जब तक यह राश‍ि जमा नहीं होती, दोनों फिल्‍मों की रिलीज पर रोक के निर्देश हैं।

14 अगस्‍त तक जमा करने होंगे 1 करोड़ रुपये

न्यायालय ने आदेश दिया कि ‘थंगालान’ गुरुवार (15 अगस्त) को पूरे देश में रिलीज होने वाली है, इसलिए 14 अगस्त को ही यह राश‍ि जमा कर दिया जाए। न्यायाधीशों ने यह भी आदेश दिया कि ‘कंगुवा’ की रिलीज से पहले एक करोड़ रुपये और जमा किए जाएं। यह आदेश हाई कोर्ट के आधिकारिक नियुक्त व्यक्ति (ऑफ‍िश‍ियल असाइनी) द्वारा दायर एक निष्पादन याचिका पर दिया गया है। कोर्ट द्वरा नियुक्‍त व्‍यक्‍त‍ि को दिवालिया बिजनसमैन अर्जुनलाल सुंदरदास (अब मृत) से बकाया कर्ज वसूलने का काम सौंपा गया था।

2016 में दायर हुई थी याचिका, कर्ज नहीं चुकाने का मामला

आधिकारिक नियुक्तकर्ता ने 2016 में हाई कोर्ट में एक आवेदन दायर किया था, जिसमें कहा गया था कि सुंदरदास पर अपनी फाइनेंस और रियल एस्टेट कंपनियों में निवेश का लालच देकर लोगों से कई करोड़ रुपये ठगने का आरोप है। सुंदरदास ने 2011 में स्टूडियो ग्रीन के साथ मिलकर 40 करोड़ रुपये निवेश कर एक फिल्म का सह-निर्माण करने का फैसला किया था। सुंदरदास ने सितंबर 2011 और अक्टूबर 2012 के बीच अलग-अलग तारीखों पर प्रोडक्शन हाउस को 12.85 करोड़ रुपये का भुगतान किया था, लेकिन पैसे की कमी के कारण बीच में ही वह पीछे हट गए।

कोर्ट में समझौते के कागजात नहीं दिखा सका प्रोडक्‍शन हाउस

स्टूडियो ग्रीन ने ऑफ‍िश‍ियल असाइनी द्वारा दायर आवेदन का विरोध किया, जिसमें दावा किया गया कि उसने सुंदरदास को ‘ऑल इन ऑल अज़गुराजा’, ‘बिरयानी’ और ‘मद्रास’ नाम की तीन तमिल फिल्मों के हिंदी रीमेक का अधिकार देकर उनकी बकाया राशि की भरपाई की है। साथ ही उनसे बॉलीवुड में अपने संपर्कों का उपयोग करके उन अधिकारों को बेचने के लिए कहा। हालांकि, प्रोडक्शन हाउस अपने दावे को साबित करने के लिए उनके बीच हुए इस कथित समझौते की केवल एक फोटोकॉपी ही पेश कर सका, जिसमें कहा गया कि मूल समझौता 2015 की बाढ़ में नष्ट हो गया था।

कोर्ट ने 2019 में मामले में दिए थे ये निर्देश

पांच साल पहले 29 अगस्त, 2019 को कोर्ट ने आधिकारिक असाइनी के आवेदन को यह मानते हुए स्वीकार कर लिया कि प्रोडक्शन हाउस द्वारा किए गए दावे से भरोसा नहीं होता। बेंच ने कहा, ‘सबसे पहले, इस संबंध में दिवालिया और दूसरे प्रतिवादी (स्टूडियो ग्रीन) के बीच कथित समझौता पेश नहीं किया गया है। समझौते की तारीख भी नहीं बताई गई है। तीनों फिल्मों का मूल्य और सद्भावना भी नहीं बताई गई है।’ बेंच ने आगे कहा, ‘इस बात को सही ठहराने के लिए कोई सबूत पेश नहीं किया गया है कि तीनों फिल्मों के रीमेक अधिकार बिल्कुल 10.35 करोड़ रुपये के बराबर होंगे। इसका कोई मौखिक साक्ष्य भी नहीं है, दस्तावेजी सबूत तो दूर की बात है। पेश किए गए दस्तावेज फोटोकॉपी हैं। बाढ़ में मूल दस्तावेज नष्ट हो जाने का स्पष्टीकरण जिरह में टिक नहीं पाया।’

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