विघ्र विनाशक भगवान श्रीगणेश की हुई विधि विधान से स्थापना

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१० दिवसीय गणेशोत्सव पर्व ३१ अगस्त से प्रारंभ हो गया। महिलाओं ने प्रात:काल नहर में जहां गौर का विसर्जन किया वही दोपहर में भगवान श्रीगणेश की प्रतिमाओं को अपने अपने घरों में विराजित किया। भगवान श्रीगणेश देवताओं में अग्रणी देवता के रूप में माने जाते है। जहां एक और सार्वजनिक पंडालों में उनकी प्रतिमाओं को विराजित किया जाता है वही हिंदू द्यर्माबलंबी अपने अपने घरों में भी उनकी विधि विधान से स्थापना करते है। यह १० दिवसीय पर्व का समापन हवन पूजन के साथ विशाल भंडारे के साथ संपन्न होता है। प्रतिदिन हिंदू द्यर्माबलंबी सुबह व शाम को भगवान श्री गणेश की विशेष आरती कर उनसे अपने परिवार व अपने करीबियों के अलावा नगर सहित क्षेत्र व देश की जनता को सलामत करने की दुआं मांगते है।

डोल नगाड़े की थाप पर लाये गये लंबोदर

गौर करने वाली बात है कि बीते दो वर्षो से कोराना काल के चलते सार्वजनिक समितियों द्वारा भगवान श्री गणेश की प्रतिमाओं की स्थापना नहीं की जा रही थी। लेकिन कोराना काल की पाबंदी हटते ही इस वर्ष गणेश भक्तजनों में काफी उत्साह दिखाई दे रहा है। भक्तजन अपने अपने पंडालों में भगवान श्रीगणेश की प्रतिमाओं को डोल नगाड़े की थाप पर लेकर मूर्तिकारों के घर से ला रहे है।

धर्ममयी हुआ नगर का वातावरण

गौरतलब है कि देवाधिदेव महादेव और माता पार्वती के छोटे पुत्र भगवान श्री गणेश का दस दिवसीय गणेशोत्सव पर्व क्षेत्र सहित पूरे देश मे ३१ अगस्त से प्रारंभ हो चुका है। हिंदू द्यर्माबलंबियो के बीच इस पर्व का अलग ही महत्तव माना जाता है। प्रतिवर्ष इस पर्व पर नगर मे एक से बढ़कर एक धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। नगर मे इस पर्व को मनाये जाने के लिये एक पखवाड़े पूर्व से ही तैयारीयों को अमलीजामा पहनाने की कार्यवाही शुरू हो जाती है। वही सार्वजनिक समितियों के बैनर तले नगर स्थित वार्डों के अलग अलग हिस्सों मे भगवान श्री गणेश की प्रतिमाऐं सार्वजनिक पण्डालों मे विराजित की जाती है। बहरहाल भगवान श्री गणेश की स्थापना के पश्चात नगर का माहौल धर्ममयी हो गया है।

२ वर्ष बाद मना रहे सार्वजनिक तौर पर भगवान श्रीगणेश का पर्व – ऐड़े

इस संबंध में पद्मेश को जानकारी देते हुये ग्राम कोस्ते की सार्वजनिक समिति के सक्रिय सदस्य निर्दोष ऐड़े ने बताया कि दो वर्ष से कोराना काल के चलते हम लोग सार्वजनिक रूप से यह पर्व नही मना पा रहे थे। इस मर्तबा सभी ग्रामवासियों के सहयोग से इस पर्व को मनाया जा रहा है। हम लोग डोल नगाड़े के साथ भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा को लेने आये है। इस दौरान हमारी समिति में विभिन्न धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन ग्रामवासियों के सहयोग से किया जायेगा।

वही मूर्तिकार सुरेश ढ़ेकने ने बताया कि इस बार मूर्ति का व्यवसाय फिलहाल अच्छा रहा है। नगर सहित क्षेत्र के लोग बड़ी संख्या में मूर्ति खरीदने पहुॅच रहे है। बीते दो वर्ष से इस धंधे में मंदी की मार थी। भगवान गणेश के आर्शीवाद से ही इस बार व्यवसाय में उठाव देखा जा रहा है। हालांकि महंगाई की मार भी इस व्यवसाय में पड़ी है। कलर पेंट काफी महंगे हो गये है जिसकी वजह से उन्हे मूर्तियों के दाम में भी कुछ इजाफा करना पड़ा है।

विशेष मुहूर्त में हुई भगवान श्रीगणेश की स्थापना

पद्मेश को जानकारी देते हुये पंडित धर्मेश तिवारी ने बताया कि इस बार शुभ मुहूर्त काल ११.२ बजे दोपहर से प्रारंभ हो गया है। यह विशेष मुहूर्त काल १ बजे तक रहेगा फिर पुन: दोपहर २ बजे से विशेष मुहूर्त काल प्रारंभ हो गया है। इस तरह रात्री ९ बजे तक अलग अलग समय में ५ मर्तबा शुभ मुहूर्त काल रहेगा। पण्डित श्री ने बताया कि कुछ लोगों ने ११ बजे तो कुछ लोगों ने दो बजे के बाद भगवान श्रीगणेश की स्थापना अपने अपने निवास सहित सार्वजनिक पंडालों में की है।

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