उद्योग जगत और विशेषज्ञों ने कहा है कि भारत की नई विदेश व्यापार नीति व्यावहारिक और सकारात्मक है और इसने वैश्विक व्यापार में देश की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए एक मंच तैयार कर दिया है.वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) 2023 पेश की. इसका उद्देश्य देश के निर्यात को 2030 तक 2,000 अरब डॉलर तक पहुंचाना, भारतीय रुपये को वैश्विक मुद्रा बनाना और ई-वाणिज्य निर्यात को बढ़ावा देना है.
उद्योग मंडल सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि कई अभिनव उपायों के साथ नई एफटीपी से वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात को 2,000 अरब डॉलर तक बढ़ाने में मदद मिलेगी. यह नीति हाल में निर्यात को बढ़ाने के लिए की गई कई नीतिगत घोषणाओं के अनुरूप है.
उन्होंने कहा, ”ऐसे समय में जब दुनिया मजबूत वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं की तलाश कर रही है, एफटीपी 2023 से नियामक वातावरण तैयार होगा, विश्वस्तर पर प्रतिस्पर्धी कंपनियों को बढ़ावा मिलेगा और निर्यात अधिक समावेशी होगा.”
एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा कि भारत की नई विदेश व्यापार नीति वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए एक मंच तैयार करेगी.
उन्होंने कहा, ”तेजी से बदलते वैश्विक बाजार में, एक गतिशील नीति का पालन करने का श्रेय सरकार को जाता है, जिससे उद्योग और नीति निर्माताओं, दोनों को चुस्ती मिलेगी. विदेश व्यापार नीति में एक नई सोच स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है.”
पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष साकेत डालमिया ने कहा कि विश्व निर्यात में भारत की हिस्सेदारी वस्तु निर्यात में मौजूदा 1.8 फीसदी और सेवा निर्यात में चार फीसदी से बढ़ने की काफी संभावना है.
उन्होंने कहा कि नई एफटीपी अनिश्चितताओं को दूर करेगी और भारत के व्यापार में निरंतरता और स्थिरता पैदा करेगी. उन्होंने कहा कि कई निर्यात योजनाओं को अब विश्व व्यापार संगठन के अनुरूप बनाया गया है.