वारासिवनी(पद्मेश न्यूज)। नगर में स्थित भारतीय जनता पार्टी कार्यालय में रविवार को किसानों के विषय को लेकर पूर्व केबिनेट मंत्री प्रदीप जायसवाल ने प्रेसवार्ता आयोजित की गई। जिसमें प्रदीप जायसवाल के द्वारा ९ दिसंबर को वारासिवनी बंद के विषय में अपने समर्थन की घोषणा करते हुए विपक्ष की भूमिका विधायक की कार्य प्रणाली पर आक्रोश व्यक्त करते हुए किसानों के आंदोलन को जायज बताया गया। वहीं भाजपा कार्यकर्ता वर्तमान किसान गर्जना जिला महामंत्री ज्ञान प्रकाश उर्फ पप्पु पटेल के द्वारा आत्मदाह के लिए गए निर्णय को भावात्मक एवं आक्रोश बताते हुए उनसे चर्चा कर समझाने का प्रयास करने की बात कही गई। इस अवसर पर मनोज दांदरे ,शैलेन्द्र तिवारी, संदीप मिश्रा ,जसवंत पटले ,अमित एरपुडेे ,पप्पू पटेल सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।
हमारा दायित्व बनता है कि जो घोषणा में बात कही है उसे पूरा करें
पूर्व मंत्री प्रदीप जायसवाल ने कहा कि सर्वविदित है कि ९ दिसंबर को वारासिवनी बंद रहेगा। किसानों को जो समर्थन मूल्य मिलना था उसको लेकर बंद का आह्वान किया है ,इसके लिए ३० नवंबर को मैंने मुख्यमंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री को पत्र लिखा था। वह उन तक पहुंच गया ३ दिसंबर को बालाघाट में मुख्यमंत्री के आगमन पर उनसे मुलाकात कर ज्ञापन देकर पार्टी स्तर पर चर्चा की गई हमारा पूरा ध्यान किसानों पर है। विधानसभा , लोकसभा चुनाव में हम साथ में थे तो हमारा दायित्व बनता है कि जो घोषणा में बात कही गई है उसे पूरा करें जिसके लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। दो चुनाव के बाद ३१०० रुपये समर्थन मूल्य नहीं तो किसानों को चिंता हो रही है हम सत्ता पक्ष से जुड़े हैं फि र भी पत्र लिखा ज्ञापन दिया चर्चा की मुख्यमंत्री से हम मांग कर रहे हैं।
मैं विपक्ष का विधायक होता तो किसानों को आंदोलन करने के लिये बोलना नही पड़ता
श्री जायसवाल ने कहा कि विपक्ष का जो दायित्व होना चाहिए वह नही हो रहा है १५ वर्ष हम नेता रहे विपक्ष में कितने आंदोलन किया मुख्यमंत्री का पुतला जलायें जेल भी गये। किंतु जो विपक्ष का काम होना चाहिए वह देखने को नहीं मिल रहा है,क्षेत्र का दुर्भाग्य है दो पत्र हमने लिखा तब विधायक को होश आया २ दिसंबर को उन्होंने पत्र जारी किया। फि र मुझे चैलेंज कर रहे हैं की पूर्व विधायक को सडक़ पर उतरना चाहिए यदि मैं विधायक रहता तो बोलने की जरूरत नहीं होती और विपक्ष का होता तो किसानों को आंदोलन नहीं करना पड़ता प्रदीप जायसवाल के नेतृत्व में आंदोलन होता। परंतु अब किसान आंदोलन पर आ गए हैं उन्हें किसी पार्टी या नेता का साथ नहीं मिला खासकर विपक्ष का। जबकि लोकतंत्र में विपक्ष सरकार को झुका सकता है पर्याप्त दबाव बनाने का अधिकार उसके पास है। हम सत्ता पक्ष के हैं विपक्ष के आगे नही आने से किसान आंदोलन कर रहा है।
विवेक पटेल की भागने की पुरानी आदत है ,यह रणछोड़दास व्यक्ति है
श्री जायसवाल ने कहा कि विधायक का काम आंदोलन करना था मुख्यमंत्री के पैर पढऩा नहीं मैं इतने साल विपक्ष में रहा भाजपा के कार्यक्रम में नहीं गया प्रोटोकॉल में बुलाते थे। सीएम शिवराज सिंह चौहान आए थे टोण्डिया नाले पर कार्यक्रम था हमने काले झंडे दिखाये पुलिस ने हमें जेल लेकर गई । उस समय हमारी पार्टी का नगर पालिका अध्यक्ष विवेक पटेल मुख्यमंत्री के मंच पर चौथी लाइन में बैठा था। इनकी भागने की पुरानी आदत है यह रणछोड़दास है अब मजबूरी में किसानों के पंडाल में जा रहे हैं। इससे क्या होगा इन्हें नेतृत्व करना था पर यह नेतृत्वहीन है भागते हैं। इसे लगा कि पंडाल गाड़ी माइक चाय का पैसा कौन देगा और कुछ दुर्घटना होने पर केश बनेगा इससे डर कर भाग रहे है। जेब से अब कुछ नहीं जाना है तो पंडाल जाकर समर्थन दे रहा है ,अभी किसानों को समर्थन की जरूरत नहीं है वह तो निकल गए हैं रोड़ पर यह केवल फ ोटो खींचने जा रहे है।
रेट तय होने पर मामा गौरव पारधी को छोड़ भागे विवेक पटेल
श्री जायसवाल ने कहा कि वारासिवनी क्षेत्र का दुर्भाग्य है कि विधायक के आगे ना आने के कारण किसानों को आंदोलन करना पड़ रहा है। हमारा कहना है कि हम अपने मुख्यमंत्री से लड़ रहे हैं तुम्हारा काम लडऩे का है मुख्यमंत्री या मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल और जिले की सांसद भारती पारधी के पैर पढऩे का नहीं है। यह सत्ता पक्ष के नेताओं का पैर पड़ रहा है तो क्या लड़ेगा किसानों के लिये। मैं विवेक पटेल को १५ वर्षों से जानता हूं बिना मतलब के यह कोई काम नहीं करता है इसको लगता है पैसा खर्च होंगे मैं फं स जाऊंगा और मेरे को क्या मिलेगा। जब क्षेत्र में रेत का काम चल रहा था तो कैसे घाट घाट जा रहे थे । गौरव पारधी के साथ मामा भांजे की जोड़ी बनाकर जाते थे तुम्हारा रेट तय हो गया तो मामा को छोड़ दिया। इसकी लड़ाई रेत सस्ती हो इसका नहीं मेरा रेट तय करो का था। तो विवेक पटेल का रेट तय हुआ इसको गाड़ी ,घोड़ा और पैसा सब मिल गया अब मामा गौरव सिंह पारधी अकेले ही जा रहे है।
कांग्रेस संगठन को छोड़ अकेला ही घुम रहे विधायक पटेल
श्री जायसवाल ने कहा कि यह किसानों के लिए भी क्यों आगे नहीं आया मुझे चैलेंज किया रोड़ पर उतरने यह मेरा काम नहीं तुम्हारा काम था। मैं १५ वर्ष विधायक रहा कितना किया सब जानते हैं यह कुछ नहीं करता इसका संगठन ही गायब है अकेला व्यक्ति है कोई संगठन नहीं है। मेरे अधिकार क्षेत्र में पत्राचार था वह मैं मुख्यमंत्री को लिखा सत्ता पक्ष का नेता कार्यकर्ता हूं सीमा में हर चीज कर रहा हूं। आप विपक्ष के है कोई बंदिश नहीं है जनता की लड़ाई लडऩा था हर बार यह मुख्यमंत्री के मंच पर जाता है ऐसा विपक्ष का नेता नहीं हो सकता। किसानों को हमारा समर्थन है ३० नवंबर को पत्र लिखा ३ दिसंबर को मुख्यमंत्री से मुलाकात कर ज्ञापन दिया अवगत करवाया। अभी इतना आंदोलन चालू है पर कांग्रेस कहीं नहीं है यह देखें पप्पू पटेल ,सुभाष पारधी यह सब भाजपा के नेता है । हमारा प्रदेश के मुख्यमंत्री से निवेदन है कि पार्टी की छवि पर असर पड़ रहा है विधानसभा लोकसभा हो गया है विश्वास कम हो रहा है घोषणा का पालन करना होगा। बीजेपी के सारे कार्यकर्ता किसान के रूप में आंदोलन कर रहे हैं यह किसानों का आंदोलन है कांग्रेस नदारत है विधायक फ ोटो खिंचवा रहा है।
नया काम तो कुछ लाया नही पुराने काम पर ही अपना थप्पा लगा रहे
श्री जायसवाल ने बताया कि सांसद भाजपा जिला अध्यक्ष व सभी की चर्चा हुई है प्रयास हो रहा है आश्वासन हमें दिया गया है। हमने कई आंदोलन में भाग लिया है परंतु किसान ऐसा है कि उसे प्रकृति की मार बाजार की मार सब झेलनी पड़ती है। भाजपा सरकार में जितनी योजना किसानों के लिए बनी है या व्यक्तिगत लाभ देने के लिए बनी है वैसा किसी पार्टी ने नहीं की है। बस यह मांग पूरी क्यों नहीं हो रही इसका चिंतन है किसान सम्मान निधि ५०००० की एवज में दे रहे है। हर सरकार की अपनी व्यक्तिगत समस्या होती है इसके अलावा कोई घोषणा नहीं बची है लाडली बहना क्रमबद्ध चल रही है धीरे धीरे बढ़ेगा। एक वर्ष हो गया इसलिए धान की चिंता है यहां पर विधायक नदारत है वह हमारे कार्यकाल के पुराने कामों पर अपना थप्पा लगाने में व्यस्त है। आरंभा गये सांसद ने मना किया तो उनके बिना ही वहां पर कार्यक्रम कर लिया। आरंभा से भेंडारा रोड़ इन्होंने कभी नहीं देखा होगा ना हीं पत्र भी लिखा होगा। उनके काम की तो कोई स्वीकृति तक नहीं आई है बस पुराने काम पर थप्पा लगा रहे हैं इस तरह किसानों के आंदोलन में पंडाल में जाकर थप्पा लगा रहे हैं।
हम अपनी सरकार के खिलाफ नही है स्वस्थ आलोचना कर रहे हैं
श्री जायसवाल ने कहा कि आंदोलन में किसानों को जाना चाहिए हमारे सभी कार्यकर्ता गए हैं और हम अपील कर रहे हैं कि सब का सहयोग आंदोलन को मिले। हम सत्ता के खिलाफ नहीं है बुराई हमेशा कान में होती है यह स्वस्थ आलोचना है स्वस्थ विरोध है हम अपनी सरकार को बोल रहे हैं। हो सकता है सरकार यह घोषणा को मार्च में करने वाली होगी परंतु हम अभी करने के लिए बोल रहे हैं, यह एक प्रकार से सुझाव है जो अभी हाल ही में देश के उपराष्ट्रपति के द्वारा केंद्रीय कृषि मंत्री को मंच पर कहा गया था उन्होंने भी सुझाव दिया था। विधायक में लीडरशिप नहीं है १५ वर्ष मेरे साथ रहा मेरे ११ में तो नहीं परंतु टॉप १८ से भी बाहर था। वह कुछ भी कर सकता है कांग्रेस में रहने पर भी भाजपा के साथ उठना बैठना रहा है आंदोलन में नहीं आते थे। इनका स्वभाव ही वैसा है नेतृत्व क्षमता नहीं है यह एक्सीडेंटल विधायक है परिस्थिति में बने हैं वरना वजन दिखना चाहिए पर यह तो पैर पढ़ते हैं जो वारासिवनी का दुर्भाग्य है।
कांग्रेस के नेताओं में नेतृत्व की कमी है, इसलिए किसानो को नेतृत्व करना पड़ रहा
श्री जायसवाल ने कहा कि पूरे कार्यक्रम में किसानों के रूप में भाजपा के किसान हैं हमारी पार्टी के नेता भी है । इसमें भावात्मक या आक्रोश में किसान नेता पप्पू पटेल के द्वारा आत्मदाह की घोषणा की है। उन्हें समझाने का प्रयास रहेगा सरकार पर दबाव बनाने आत्मदाह ठीक नहीं है भावना में घोषणा करें है उन्हें समझाएंगे। सरकार पर दबाव बनाना होगा शुरुआत वारासिवनी से हो रही है जिले में कांग्रेस के चार विधायक बैठे हैं । पूरा जिला बंद करवा देते विधानसभा में इनको यह काम आता पर सारे विधायक फ ोटो खिंचवा रहे हैं। कांग्रेस नेताओं में नेतृत्व की कमी है सब घर पर बैठे हैं इसलिए किसानो को नेतृत्व करना पड़ रहा है।