विवादों के बीच जिला पंचायत चुनावी प्रक्रिया संपन्न श्रीमती केसर बिसेन गुट के 4, तो बीजेपी गुट के 2 सदस्य चुने के सभापति

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जिला पंचायत में शनिवार को भारी हंगामे और विरोध के बीच जिला पंचायत बालाघाट की स्थाई समितियों और सभापति के चुनाव संपन्न कराए गए. जहां सामान्य प्रशासन समिति में अध्यक्ष सम्राट सरस्वार तो वही शिक्षा समिति में उपाध्यक्ष योगेश राजा लिल्हारे  को सभापति पद पदेन किया गया. वही सभी 7 समितियों के चुनाव निर्विरोध संपन्न कराए गए. जिसके तुरंत बाद सभापति के चुनाव की प्रक्रिया रात्रि 8 बजे शुरू की गई. पद को लेकर भारी विरोध और हंगामे के बीच विधायक गौरीशंकर बिसेन कि समझाईश के बाद देर रात्रि सभापति के चुनाव संपन्न कराए गए जिसने कांग्रेस समर्थित श्रीमती केसर बिसेन गुट के 04 तो वही बीजेपी समर्थित 02 सदस्यों को सभापति पद में जगह मिली. देर रात तक संपन्न कराए गए इन चुनावों में कृषि समिति में टामेश्वर पटले, संचार एंव संकर्म समिती में दल सिंह पंन्द्रे, सहकारिता एवं उद्योग समिति में झाम सिंह नागेश्वर, स्वास्थ्य महिला एवं बाल कल्याण समिति में श्रीमती केसर बिसेन, वन समिति में महेश मरकाम और जैव विविधता प्रबंधन समिति में डुलेन्द्र  ठाकरे सभापति चुने गए.

सत्ता सुःख और सभापति पद के लिए हुआ भारी हंगामा 
सत्ता सुःख और सभापति पद को लेकर शनिवार सुबह से चल रही निर्वाचन प्रक्रिया देर भारी हँगामे के बीच पूरी की गईं. जहां जिला पंचायत सभापति निर्वाचन के पूर्व समिति चुनाव प्रक्रिया के दौरान कांग्रेसी श्रीमती केसर बिसेन गुट के बीजेपी के पक्ष में चले जाने से जिला पंचायत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष सहित अन्य 12 सदस्यों ने निर्वाचन का बहिष्कार कर दिया. तो वही निर्वाचन बहिष्कार के बाद स्थिति और भी ज्यादा नाजुक हो गई. जहां बीजेपी और बीजेपी को सपोर्ट करने वाले कांग्रेसी श्रीमती केसर बिसेन गुट के सदस्य और बीजेपी के सदस्यों के बीच सभापति पद को लेकर आपसी तालमेल नहीं बैठ पाया.जहां पद को लेकर भारी विरोधाभास और हंगामे के चलते सभापति निर्वाचन की प्रक्रिया रोक दी गई.बताया जा रहा है की समितियों सदस्यों के निर्वाचन के बाद समिति सभापति का निर्वाचन लम्बे समय तक नहीं हो सका. जिसकी असली वजह बीजेपी और बीजेपी को सशर्त समर्थन देने वाले श्रीमती केसर बिसेन गुट के सदस्यों के बीच पद को लेकर जारी खींचतान बताई गईं.

विधायक के लिफाफे ने बदला चुनावी समीकरण
 सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बालाघाट विधायक गौरीशंकर बिसेन जिला पंचायत में चल रहे सभापति पद के लिए किंगमेकर की भूमिका निभा रहे थे. जिनके लिफाफे ने ही इस निर्वाचन का पूरा समीकरण बदल कर रख दिया है. बताया जा रहा है कि श्रीमती केसर बिसेन गुट के कुछ कांग्रेसी सदस्यों को अपने पक्ष व विश्वास में लेने के बाद विधायक गौरीशंकर बिसेन द्वारा एक लिफाफे में किस सदस्य को सभापति का कौन सा पद दिया जाएगा. इसका उल्लेख किया हुआ लिफाफा जिला पंचायत पहुंचाया था.जानकारी के अनुसार लिफाफे में जहां बीजेपी पक्ष के कुछ सदस्यों के नाम थे तो वही श्रीमती केसर बिसेन गुट के कुछ कांग्रेसी सदस्यों के भी नामो का उल्लेख किया गया था. जहां उम्मीद और मांग के अनुरूप पद ना मिलने और पद को लेकर बीजेपी गुट  और श्रीमती केसर बिसेन गुट में आपसी तालमेल ना बैठने के चलते निर्वाचन के दौरान ही हंगामा हो गया जिसके चलते निर्वाचन की यह प्रक्रिया रोक दी गई थी.

विधायक ने स्वयं जिला पंचायत पहुंच कर कराई सुलह 
 सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस समर्थित सरस्वार गुट द्वारा सभापति निर्वाचन प्रक्रिया का बहिष्कार करने के बाद जिला पंचायत में श्श्रीमती केसर बिसेन गुट और बीजेपी गुट ही बचा था.जिन्हें एक दूसरे का भरपूर समर्थन था. लेकिन ऐन वक्त पर सभापति पद को लेकर दोनों गुटों का आपस में ही विवाद होने लगा. जिससे निर्वाचन की प्रक्रिया लंबे समय तक रूकी रही. तो वही बरसात होने और विद्युत व्यवस्था ठप होने के चलते निर्वाचन प्रक्रिया में लम्बे समय तक विराम लगा रहा.जहाँ काफी देर बाद निर्वाचन की प्रक्रिया शुरू की गई जहां प्रक्रिया शुरू होते ही पद को लेकर एक बार फिर से श्रीमती केसर बिसेन गुट और बीजेपी समर्थित गुट के बीच विवाद शुरू हो गया. सूत्र बताते हैं कि पद को लेकर देर तक जारी इस विवाद के बीच किसी ने विधायक गौरीशंकर बिसेन को फोन कर जिला पंचायत में बुला लिया. जहां विधायक बिसेन ने आपसी समझाइश के बाद मामला शांत कराकर पुनः निर्वाचन की प्रकिया शुरू करने के लिए सभी क़ो राजी किया.

 श्रीमती स्मृति टेकाम भी निर्वाचन प्रक्रिया से बनाई दूरी
सभापति पद को लेकर जिला पंचायत सदस्यों के बीच जारी विवाद और रुकी हुई चुनाव प्रक्रिया के बीच  जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 1 से निर्वाचित सदस्य श्रीमती स्मृति टेकाम ने भी निर्वाचन प्रक्रिया को बीच में ही छोड़ दिया सूत्र बताते हैं कि जिला पंचायत के आंतरिक चुनाव में सम्राट गुट के बहिष्कार के बाद श्रीमती केसर बिसेन का गुट और बीजेपी समर्थित सदस्य ही जिला पंचायत की निर्वाचन प्रक्रिया में शामिल थे. जहां उनके बीच में पद को लेकर आपसी विवाद होने के चलते निर्वाचन प्रक्रिया रुक गई. इसी बीच क्षेत्र क्रमांक 1 की सदस्य श्रीमती स्मृति टेकाम निर्वाचन प्रक्रिया बीच में ही छोड़ कर चली गई.सूत्र  बताते हैं कि श्रीमती टेकाम ने वन समिति सभापति पद की इच्छा जताई थी, लेकिन लिफाफे में सभापति पद के लिए उनका नाम ही नहीं था. जिससे वें भी नाराज हो गई और निर्वाचन प्रक्रिया को बीच में छोड़कर ही चली गई

बीजेपी नेताओं ने पहले ही कर ली थी सभापति पद की प्लानिंग
 पेच टाइगर रिसोर्ट में  साथ घूमने गए थे बीजेपी और श्रीमती केसर बिसेन गुट के सदस्य
सूत्र बताते हैं कि जिला पंचायत में समिति सभापति का पद किन-किन सदस्यों को दिया जाएगा यह पहले ही तय हो गया था. जिसकी रूपरेखा बीजेपी के वरिष्ठ पदाधिकारी ने चुनाव के तुरंत बाद ही बना ली थी. जहां उन्होंने सम्राट अशोक सरस्वार के अध्यक्ष बनने के बाद अध्यक्ष पद को लेकर नाराज चल रही श्रीमती केसर बसेन और उनके गुट से संपर्क किया. जहां 2 दिन पूर्व ही सभापति पद के निर्वाचन को लेकर बीजेपी और श्रीमती केसरी बिसेन गुट के बीच समझौता हो गया था. सूत्र बताते हैं कि श्रीमती केसरी बिसेन का गुट और बीजेपी गुट के सदस्य पेच टाइगर रिसोर्ट में घूमने एक साथ गए थे. उसी दौरान पद के  बंटवारे को लेकर तमाम तरह की प्रक्रिया पूरी कर ली गई थी. जिसका असर आज सभापति चुनाव में देखने को मिला है.

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