विश्वविद्यालय में करोड़ों के आवास को दो साल से गृह प्रवेश का इंतजार

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रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में कर्मचारी आवास को मोहताज हैं। डेढ़ करोड़ की लागत से नए भवन बनकर तैयार है लेकिन उन्हें कर्मचारियों को आवंटित नहीं किया जा रहा है। यहीं नहीं ठेकेदार से प्रशासन ने अब तक आवास का अधिपत्य तक नहीं लिया है। इस बीच मकान खाली पड़े—पड़े खंड़हर में तब्दील हेा रहे हैं। 150 से ज्यादा कर्मचारियों ने आवास के लिए आवेदन दे रखा हुआ है। अब 16 नवंबर को आवास आंवटन की तैयारी हो रही है।

क्या है मामला: 2014—15 के वित्तीय बजट में 31.22 लाख विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और 78.15 लाख रुपये विश्वविद्यालय कोष से कर्मचारियों के आवास को आवंटित हुए। साल 2016—19 के बीच में निर्माण कार्य पूरा हुआ। बता दे कि तब से आवास को ठेकेदार के कब्जे में रखा गया है। आवास का अभी तक सुपुर्दगी नहीं ली गई है। इधर लगातार आवास के लिए कर्मचारियों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। पहले कुछ दिन आवास का लोकार्पण के लिए इन्हें नहीं आवंटित किया गया। बाद में फीता कटने के बाद भी इन्हें नहीं दिया जा रहा है।

कब्जों से परेशान विवि: विश्वविद्यालय में कब्जे की परम्परा पुरानी है। दर्जनों कर्मचारियों ने अवैध रूप से आवासों पर कब्जा किया हुआ है। कई ने सरकारी ताले तोड़कर कमरे कब्जा कर लिए है। ऐसे में नए आवास का आवंटन भी इस डर की वजह से नहीं हो रहा है।

एक अनार सौ बीमार: तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मियों के लिए आवास नए बने हुए है। 24 आवास का निर्माण हुआ है। 550 से ज्यादा कर्मचारी विश्वविद्यालय में पदस्थ है। 150 से ज्यादा कर्मियों ने स्थापना विभाग में आवास आवंटन के लिए आवेदन दिया हुआ है। इतनी मांग की वजह से आवंटन कमेटी भी किसे आवंटन दे किसे इंकार करे यह समझ नहीं पा रही है।

खंडहर हो रहे आवास: कर्मचारी नेता राजेंद्र शुक्ला ने कहा कि कर्मचारियों के नए आवास बेकार खाली पड़े हुए है। ये खंडहर बन रहे हैं लेकिन कर्मचारियों के परिवार को इसमें बसाया नहीं जा रहा है।

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कर्मचारियों की मांग पर 16 नवंबर को आवास आवंटन कमेटी की बैठक हो रही है। उसमें निर्धारित मापदंड के अनुसार आवास आवंटन किया जाएगा।

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