वीडियोकॉन ग्रुप के फाउंडर वेणुगोपाल धूत को बेल:CBI ने 26 दिसंबर 2022 को गिरफ्तार किया था, बैंक फ्रॉड का आरोप

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बॉम्बे हाईकोर्ट ने वीडियोकॉन ग्रुप के फाउंडर वेणुगोपाल धूत को अंतरिम जमानत दे दी है। अंतरिम आदेश जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण ने पारित किया। धूत ने उनकी गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। धूत को ICICI बैंक कर्ज धोखाधड़ी मामले में CBI ने 26 दिसंबर 2022 को गिरफ्तार किया था।

अपनी याचिका में धूत ने संविधान के अनुच्छेद 226 और 227 के तहत स्पेशल CBI कोर्ट के 26, 28 और 29 दिसंबर, 2022 के रिमांड आदेशों को रद्द करने की मांग की थी। इसके साथ ही उन्होंने गिरफ्तारी को कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर, 1973 के सेक्शन 41 और 41A का उल्लंघन बताया था। इसी बेंच ने 9 जनवरी को पूर्व-ICICI बैंक की MD चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को अंतरिम जमानत दी थी।

नियमों को ताक पर रखकर लोन दिया
आरोप है कि जब चंदा कोचर ने देश के बड़े प्राइवेट बैंकों में से एक ICICI बैंक की कमान संभाली तो वीडियोकॉन की विभिन्न कंपनियों के नियमों को ताक पर रखकर कुछ लोन मंजूर किए। 2012 में वीडियोकॉन ग्रुप की कंपनियों के 6 अकाउंट के मौजूदा बकाया को डोमेस्टिक डेट रिफाइनेंसिंग के तहत स्वीकृत 1,730 करोड़ रुपए के लोन में एडजस्ट किया था।

CBI ने ये भी बताया था कि 2012 में दिए गए 3,250 करोड़ के लोन में से 2,810 करोड़ रुपए (लगभग 86%) नहीं चुकाए गए। वीडियोकॉन और उसकी ग्रुप कंपनियों के अकाउंट को जून 2017 में NPA घोषित कर दिया गया था। NPA घोषित होने से बैंक को घाटा हुआ।

2016 में शुरू हुई थी मामले की जांच
इस मामले की जांच 2016 में शुरू हुई थी जब दोनों फर्मों, वीडियोकॉन ग्रुप और ICICI बैंक में एक निवेशक अरविंद गुप्ता ने लोन अनियमितताओं के बारे में चिंता जताई थी। गुप्ता ने RBI और यहां तक ​​कि प्रधानमंत्री को इस बारे में लिखा था, लेकिन उनकी शिकायत पर उस समय कोई ध्यान नहीं दिया गया। मार्च 2018 में एक अन्य व्हिसल-ब्लोअर ने शिकायत की।

24 जनवरी 2019 को FIR
टॉप मैनेजमेंट के खिलाफ की गई शिकायत के बाद कई एजेंसियों का ध्यान इस ओर गया। हालांकि, उसी महीने बैंक ने बयान जारी कर कहा कि उन्हें चंदा कोचर पर पूरा भरोसा है। वीडियोकॉन ग्रुप के लोन पास करने में चंदा की कथित भूमिका की जांच के बाद यह बयान दिया गया था। एजेंसियां अपनी जांच करती रहीं और बैंक पर बढ़ रहे प्रेशर के बाद उसने भी जांच शुरू की। इसके बाद CBI ने 24 जनवरी 2019 को FIR दर्ज की।

चंदा, दीपक, धूत समेत 4 कंपनियों का नाम
CBI ने लोन फ्रॉड मामले में चंदा कोचर, दीपक कोचर और वीडियोकॉन ग्रुप के वेणुगोपाल धूत के साथ-साथ नूपावर रिन्यूएबल्स, सुप्रीम एनर्जी, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड को IPC की क्रिमिनल कॉन्सपिरेसी, चीटिंग और करप्शन से जुड़ी धाराओं के तहत रजिस्टर्ड FIR में आरोपी बनाया था।

2020 में ED ने किया था अरेस्ट
जनवरी 2020 में प्रवर्तन निदेशालय ने कोचर परिवार की 78 करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति कुर्क की थी। इस के बाद एजेंसी ने कई दौर की पूछताछ के बाद दीपक कोचर को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की धाराओं के तहत गिरफ्तार किया था।

2015 में भारत के 61वें अमीर थे धूत
71 साल के वेणुगोपाल धूत का जन्म मुंबई में हुआ था। इनकी पहचान भारतीय बिजनेसमैन की है। फोर्ब्स के अनुसार, 2015 में उनकी संपत्ति 1.19 बिलियन डॉलर थी और तब वे भारत के 61वें और दुनिया के 1190वें सबसे अमीर आदमी थे। वीडियोकॉन के फाउंडर, चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर के रूप में उन्होंने काम किया था।

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