वेलकिन रियल इंफ्रा इंडिया लिमिटेड कंपनी के चार संचालक आरोपी को तीन- तीन वर्ष की सश्रम कारावास

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बालाघाट 5 से 6 वर्ष में डेढ़ से 2 गुना राशि करने का प्रलोभन देकर धोखाधड़ी करने के मामले में यहां की विद्वान अदालत ने वेलकम रियल इंफ्रा लिमिटेड कंपनी के चार संचालक को तीन-तीन वर्ष की सश्रम कारावास और प्रत्येक को 3लाख 50 हजार रुपए अर्थदंड से दंडित किये। 7 नवंबर को यह सजा विद्वान द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश श्रीमती नौशीन खान की अदालत ने सुनाई।इन चार आरोपियों में भूपेंद्र तुरकर पिता लोकचन्द तुरकर 38 वर्ष ग्राम गन्ना टोला पोस्ट कांदरीकला थाना किरनापुर हाल मुकाम बसंत नगर आजाद वार्ड गोंदिया, सुधीर पिता धर्मराज राहंगडाले 33 वर्ष ग्राम टांडा तहसील जिला गोंदिया महाराष्ट्र, जगदीश पिता दामाजी गायधने 52 वर्ष ग्राम सौदड़ थाना दुग्गीवार जिला गोंदिया महाराष्ट्र और देवेंद्र पिता अष्टराज गौतम 50 वर्ष ग्राम पिपरझरी थाना हट्टा बालाघाट निवासी है। इस मामले में अभियोजन की ओर से पैरवी लोक अभियोजक एम एम द्विवेदी द्वारा की गई।

अभियोजन के अनुसार अभियुक्त भूपेंद्र तुरकर ,टोपलाल बिसेन, देवेंद्र गौतम, सुधीर राहंगडाले एवं जगदीश गायधने के द्वारा अन्य सह अभियुक्त गण के साथ मिलकर 1जनवरी 2012 से 31दिसम्बर 2017 के बीच वेलकिन रियल इंफ्रा इंडिया लिमिटेड कंपनी का कार्यालय वार्ड नंबर 28 हनुमान चौक बालाघाट में संचालित किए थे। जिनके द्वारा कंपनी में निवेशकों को रियल एस्टेट कारोबार के नाम पर आम जनता से राशि निवेश कराकर उसके एवज में कंपनी संस्था का बांड आम जनता को प्रदान किया जाता था और 6 वर्षों में राशि दुगनी होने का दावा किया जाता था। समय-समय पर जब भी संस्था पर अविश्वास की स्थिति की स्थिति उत्पन्न होती थी तो उनके द्वारा गारंटी की बात कही जाती थी। और बांड में निर्धारित राशि में मेच्योरिटी दिनांक को वापस किए जाने का आश्वासन दिया जाता था। इन आरोपियों की सलाह पर उनके द्वारा करोड़ों रुपए जमा करवाया गया एवं परिपक्वता अवधि पूर्ण हो जाने पर भी पैसा वापस नहीं किया गया। संपर्क किए जाने पर 8-10 माह में राशि दिए जाने का आश्वासन दिया गया। निवेशकों को राशि डूबने का अंदाज होने पर कंपनी संचालक से जानकारी ली गई। किंतु उनके द्वारा आश्वासन दिए जाने के बजाय डराया धमकाया गया और दोबारा राशि मांगने पर जान से मारने की धमकी दी गई। कंपनी बालाघाट क्षेत्र में होने से संपूर्ण कार्य क्षेत्र बालाघाट जिले में ही संचालित होता था एवं कंपनी के अधिकारी संस्था प्रमुख बालाघाट जिले के ही निवासी थे। संस्था के कर्मचारीयो के द्वारा शिकायतकर्ता एवं प्रार्थी गण के साथ धोखाधड़ी कर राशि का गबन किया गया था। निवेशक शिकायतकर्ता के द्वारा कलेक्टर बालाघाट को एक लिखित आवेदन प्रस्तुत किया गया था। जिसकी प्रतिलिपि पुलिस अधीक्षक बालाघाट को प्रेषित की गई थी। जिसकी जांच उपरांत कोतवाली बालाघाट में भूपेंद्र तुरकर ,सुधीर राहंगडाले, जगदीश गायधने, और देवेंद्र गौतम के विरुद्ध धारा 420 409 भादवि और धारा 6 मध्य प्रदेश निक्षेपको के हितों का संरक्षण अधिनियम 2000 एवं धारा 4 प्राइज चीटस एंड मनी सर्कुलेशन स्कीमस एक्ट के तहत अपराध दर्ज कर इस अपराध में चारों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था और उनके विरुद्ध अभियोग पत्र विद्वान अदालत में पेश किया गया था। यह मामला विद्वान द्वितीय सपर सत्र न्यायाधीश श्रीमती नौशीन खान की अदालत में चल रहा था। विद्वान अदालत में चलते इस मामले में अभियोजन पक्ष आरोपियों के विरुद्ध आरोपित अपराध सिद्ध करने में सफल रहा। 7 नवंबर को विद्वान अदालत ने इस धोखाधड़ी और गबन के मामले में फैसला सुनाते हुए उक्त चार आरोपियों को धारा 420 भादवि के तहत अपराध में 3 वर्ष का सश्रम कारावास और एक लाख रुपये अर्थदड, धारा 120 बी भादवि के तहत अपराध में 3 वर्ष का सश्रम कारावास और एक लाख रुपये अर्थदड, धारा 420 भादवि के तहत अपराध में 3 वर्ष का सश्रम कारावास और 45 हजार रुपये अर्थदड, धारा 3/4 ईनामी चिट और परिचालन स्क्रीम (पाबंदी) अधिनियम 1978 के तहत अपराध में 3 वर्ष का सश्रम कारावास और 5 हजार रुपये अर्थदड , धारा 6 मध्य प्रदेश निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम 2000 के तहत अपराध में 3 वर्ष के सश्रम कारावास और एक लाख रुपये अर्थदण्ड से दंडित किये।

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