पाकिस्तान में चाइना-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर में अपना 60 अरब डॉलर फंसता देख चीन की सरकार हरकत में आ गई है। पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर और पीएम शहबाज शरीफ के चीनी राष्ट्रपति से मिलने के कुछ ही दिन बाद एक और कद्दावर चीनी मंत्री इस्लामाबाद पहुंचे हैं। चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के अंतरराष्ट्रीय विभाग के मंत्री और जिनपिंग के करीबी मंत्री लियू जिआनचाओ ने इस्लामाबाद शहबाज शरीफ से लेकर आर्मी चीफ से मुलाकात की। यही नहीं उन्होंने इमरान खान की पार्टी के सदस्यों को भी बुलाया। सभी दलों की बैठक के बाद चीनी मंत्री ने पाकिस्तानी नेताओं और सेना को साफ-साफ कह दिया कि जब तक जब पाकिस्तान में आंतरिक स्थिरता नहीं आएगी, तब तक वे चीनी निवेश को भूल जाएं।
माना जा रहा है कि चीनी मंत्री का इशारा पाकिस्तान में इमरान खान को लेकर सेना के साथ चल रहे विवाद की ओर था। लियू ने कहा कि दुनिया में अस्थिरता बढ़ रही है, ऐसे में विकास के लिए देश में स्थिरता बहुत जरूरी है। लियू का यह दौरा ऐसे समय पर हो रहा है जब चीन ने पाकिस्तान को सर्वोच्च प्राथमिकता वाले देश से दर्जा घटाकर प्राथमिकता वाला देश बना दिया है। शहबाज शरीफ 4 प्रॉजेक्ट के लिए अरबों डॉलर मांगने चीन गए थे लेकिन शी जिनपिंग ने उन्हें खाली हाथ लौटा दिया था। इससे देश में शहबाज शरीफ की काफी किरकिरी होने लगी थी। यही नहीं सीपीईसी के भविष्य को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं।
‘सीपीईसी की सुरक्षा पर खतरा सबसे बड़ी बाधा’
चीन अरबों डॉलर खर्च करके सीपीईसी को आगे बढ़ा रहा है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में उसके कई नागरिक मारे गए हैं। इसको लेकर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग तक पाकिस्तान चेतावनी दे चुके हैं। ताजा मामले में चीनी ने नेता ने कहा कि सतत विकास तभी हो सकता है जब किसी देश के सभी राजनीतिक दल राजनीतिक और सामाजिक स्थिरता को सुनिश्चित करते हैं। लियू ने कहा, ‘हम सीपीईसी के अपग्रेडेड वर्जन को बनाने के लिए तैयार हैं लेकिन हमें सुरक्षा को सुनिश्चित करना होगा और बिजनस के लिए माहौल बनाना होगा। सुरक्षा खतरा सीपीईसी में सहयोग करने में मुख्य बाधा है।’
लियू ने कहा कि पाकिस्तान में चीन के निवेशकों को सबसे बड़ा सुरक्षा हालात को लेकर है। उन्होंने कहा, ‘सुरक्षा के बिना बिजनस का माहौल वास्तव में सुधर नहीं सकता है। यह लंबी अवधि में विकास को प्रभावित करता है।’ बता दें कि हाल के वर्षों में बलूचिस्तान में चीन के इंजीनियरों पर कई जानलेवा हमले हुए हैं जिसमें बड़ी संख्या में चीनी मारे गए हैं। इन हमलों को बलूच विद्रोहियों और टीटीपी ने किए हैं। चीन चाहता है कि इन संगठनों के खात्मे के लिए पाकिस्तान बड़ा सैन्य अभियान चलाए लेकिन इसके लिए कंगाल पाकिस्तान के पास पैसा नहीं है। वहीं चीनी इसके लिए पैसा देने को तैयार नहीं है। चीन यह भी धमकी दे चुका है कि चूंकि पाकिस्तानी सेना फेल हो रही है, ऐसे में वह अपने सैनिकों को पाकिस्तान में तैनात कर सकता है।