शारदेय नवरात्र की धूम ,जिला मुख्यालय सहित ग्रामीण अंचलों में शेयर्ड नवरात्र में मां के अलग-अलग स्वरूपों की जाती है पूजा

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शारदेय नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा अर्चना की जाती है नवरात्रि के तीसरे दिन मां के तृतीय स्वरूप माता चंद्रघंटा की पूजा अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता चंद्रघंटा को राक्षसों का वध करने वाला कहा जाता है। ऐसा माना जाता है की मां अपने भक्तों के दुखों को दूर करने के लिए हाथों में त्रिशूल तलवार और गधा रखा हुआ है माता चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र बना हुआ है । जिस वजह से भक्त मां को चंद्रघंटा कहते हैं। इसी तरह शारदे नवरात्रि में जिला मुख्यालय सहित ग्रामीण अंचलों में भी नवरात्रि की धूम है। सार्वजनिक पंडालों और मंदिरों में मंगलवार को माता के तीसरे रूप चंद्रघंटा की पूजा अर्चना की गई है।

नया सराफा में बैठी मन्नत वाली माता
नया सराफा दुर्गा उत्सव समिति द्वारा 31 वर्ष से मां आदि शक्ति की प्रतिमा विराजित की जाती है सदस्यों के द्वारा बताया गया कि भारत भूषण किजवानी और क्रांति कोचर जी के द्वारा शारदेय नवरात्र में लोगों में भक्ति भाव और धार्मिक भावनाओं से जुड़े रहने के मकसद से उनके द्वारा समिति बनाकर प्रतिमा विराजित की गई । जिसका निर्वहन आज भी किया जा रहा है। लोगों की मान्यता है कि जब से इस शारदेय नवरात्र में नया सराफा में प्रतिमा विराजित की जाती है तब से माता सब की मुरादे पूरी करती हैं वहीं कुछ लोग मन्नत के आधार पर पंचमी के दिन नींबू की माला माता को अर्पण की जाती है नारियल रखे जाते हैं जिससे उनकी मुरादे पूरी होती है। नवरात्रि के छठवें दिन से नया पर सर्राफा दुर्गा उत्सव समिति के द्वारा विसर्जन तक भंडारे का आयोजन किया जाता है।

धार्मिक भावना से जुड़ने और आपस से मेल मिलाप को लेकर विराजित की जाती है माता दुर्गा
गोंदिया रोड स्थित वार्ड नंबर 18 मैं नवदुर्गा उत्सव समिति द्वारा 1969 से शारदेय नवरात्र में माता की प्रतिमा विराजित की जाती है। बताया जा रहा है कि बुजुर्गों के द्वारा मोहल्ले में चल-पाल और धार्मिक भावना सहित आपस में लोगों से मुलाकात हो सके उसको लेकर प्रतिमा विराजित की गई। जिसका यह 54वां वर्ष है पंचमी से विसर्जन तक महाप्रसाद का वितरण किया जाता है खास बात यह है कि इस वर्ष नवनीत नायडू के द्वारा शारदेय नवरात्र में 9 दिनों तक अलग-अलग डेकोरेशन से मां का मंडप सजाया गया है।

मित्र बंधु दुर्गा उत्सव समिति का है 22 वां वर्ष
नगर के गोंदिया रोड स्थित वार्ड 19 में मित्र बंधु दुर्गा उत्सव समिति द्वारा 22 वर्ष से मां भवानी की प्रतिमा विराजित की जाती है बताया जाता है कि शारदेय नवरात्र में नीलू पीपलेवार सौरभ कसार सहित अन्य मित्र मंडल द्वारा धार्मिक आस्था श्रद्धा भाव और धर्म से जुड़ने के लिए और मोहल्ले में चल-पाल हो इस उद्देश्य को लेकर माता की प्रतिमा विराजित की गई है जिसका निर्वहन आज भी युवाओं के द्वारा किया जा रहा है।

विसर्जन के दिन लगता है भक्तों का ताता
नगर के सर्किट हाउस रोड स्थित वार्ड नंबर 21 में 47 वर्ष से महागौरी महिला मंडल दुर्गा उत्सव समिति द्वारा मां गौरी की प्रतिमा विराजित की जाती है। समिति के सदस्य निशात मिश्रा ने बताया कि पहले इस क्षेत्र में काफी अमराई हुआ करती थी और अमराई में शारदेय नवरात्र में प्रकाश मिश्रा जी को अलौकिक जोत जलती दिखाई देती थी उनके देहांत के बाद उनकी बहन सुश्री मालती मिश्रा द्वारा शारदेय नवरात्र पर्व के अवसर पर मां दुर्गा की प्रतिमा विराजित की जाती थी। इस परंपरा का निर्वहन आज भी महिला मंडल द्वारा किया जा रहा है। इस समिति की दुर्गा जी में ऐसी मान्यता है कि विसर्जन के दिन लड़का लड़की जिनकी शादी नहीं जुड़ती और जिनको संताने नहीं होती वह लोग अपनी मन्नत मां के सामने रखते हैं उनकी मुरादे मां जरुर पूरा करती है। विसर्जन के दिन भोपाल इंदौर जबलपुर नागपुर सहित अन्य बड़े शहरों से मां के भक्ति गण पहुंचते हैं और अपने मुरादे पूरी करते हैं।

अष्टमी के दिन 1008 दिए से होती है मां की मां आरती
नगर के सोगापत गली वार्ड नंबर 21 और 22 में 40 वर्षों से ज्ञानवर्जन दुर्गा उत्सव समिति द्वारा मां भगवती की प्रतिमा विराजित की जाती है। बताया जाता है कि मोहल्ले में सुख शांति, एकता, खुशहाली और वार्ड वासी धार्मिक आस्था से जुड़े रहे इस उद्देश्य से बुजुर्गों के द्वारा 40 वर्ष पूर्व मां भगवती की शारदेय नवरात्र में प्रतिमा विराजित की गई । इस परंपरा का निर्माण आज भी किया जा रहा है । खास बात ये है की ज्ञानवर्जन दुर्गा उत्सव समिति के द्वारा अष्टमी के दिन 1008 दिये से मां भगवती की महाआरती की जाती है। सारे दिये वार्ड वासियों के द्वारा अपने घरों से ही लाया जाता है और दशहरे के दिन विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है।

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