राजधानी के हृदय रोग विशेषज्ञों की माने तो हृदय संबंधित समस्याओं से बचने के लिए बचपन से ही हमें अपनी आदतों पर ध्यान देना होगा। अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों को बचपन से ही शारीरिक श्रम करना सिखाएं और उनके खानपान व दिनचर्या को नियंत्रित करें। हृदय रोग विशेषज्ञ के अनुसार, बच्चों को ब्ल्यू स्क्रीन की लत से दूर रखें और कोई न कोई मैदानी खेल से जोड़ें। युवाओं में भी पैदल चलने की आदत विकसित करना चाहिए। इसके अलावा आहार पर विशेष ध्यान देना जरूरी है। आहार पोषण से भरपूर होना चाहिए। यदि परिवार में किसी को भी रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग या ऐसा कोई रोग हो जो वंशानुगत हो सकता हो तो आप पहले ही अपने आहार-विहार का ध्यान रखें। यदि सब सामान्य है तब भी घी-तेल संतुलित मात्रा में ही खाएं, और जितना खा रहे हैं उसके अनुरूप शारीरिक श्रम करें। महिलाएं प्रयास करें कि घर के अधिकांश कार्य वे खुद करें, क्योंकि इससे उनका स्वाभाविक व्यायाम भी होगा। 40 की उम्र के बाद नियमित हेल्थ चेकअप करवाते रहें, इससे शरीर में यदि कोई व्याधि है तो वह पहले ही पता चल जाएगी। वर्तमान में हृदय रोग के मामले बढ़ते जा रहे हैं। एक दौर था जब वृद्ध लोग ही इसकी चपेट में आते थे, लेकिन अब युवा भी इसकी गिरफ्त में आते जा रहे हैं। हृदय रोग के कई कारण हो सकते हैं। हृदय रोग विशेषज्ञ के अनुसार, बाजार के भोजन से गुरेज करें, खासतौर पर डिब्बाबंद खाद्य व पेय पदार्थ से दूरी बनाएं। कोई भी दवाई चिकित्सकीय परामर्श लिए बिना खाएं भी नहीं और बंद भी न करें। अपनी जीवनशैली सुधारें और यदि धूम्रपान की लत तो उसे त्याग दें। बढ़ता वजन भी रोग की वजह है। अक्सर देखा गया है कि हार्ट अटैक आने पर दर्द बाएं हाथ या पीठ में भी दर्द होता है। कई बार दर्द गर्दन और दाएं हाथ की और भी होता है। इसलिए इन लक्षणों को पहचान तुरंत जांच कराएं।अमूमन छाती के बीच में दर्द होना ही हार्ट अटैक की पहचान है लेकिन बहुत अधिक ठंड होने पर, ज्यादा श्रम करने पर, भोजन के दौरान या तनाव अधिक लेने पर दर्द हाथ और पीठ में भी होने लगता है।