शिवराज सिंह चौहान को झटका देगी मोहन सरकार? पशु एंबुलेंस खरीदी की होगी ‘जांच’, जानें क्या है चर्चा

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भोपाल: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पशु संजीवनी योजना की शुरुआत हुई थी। इस योजना के तहत जानवरों के इलाज के लिए पशुं एंबुलेंस की खरीदी हुई थी। यह पशु एंबुलेंस अब सवालों के घेरे में आ गई है। मई 2023 में 65 करोड़ रुपए की लागत से 406 एंबुलेंस खरीदी गई थीं। इन एम्बुलेंस का मकसद पशुओं को घर-घर आपातकालीन सेवाएं देना था। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा है कि मोहन सरकार इसकी जांच करवाएगी।

इसकी जरूरत नहीं थी

वहीं, पशुपालन मंत्री लखन पटेल ने एक मीडिया संस्थान से बात करते हुए कहा कि इन एम्बुलेंस की जरूरत ही नहीं थी। सरकार जांच के बाद इनका भविष्य तय करेगी। कई जिलों में ये एम्बुलेंस या तो खराब पड़ी हैं या फिर बेकार हैं। इनमें लगे अतिरिक्त उपकरण भी हटा दिए गए हैं, क्योंकि इनकी वजह से हादसे हो रहे थे। यह पूरा मामला कई सवाल खड़े करता है।

65 करोड़ में हुई थी खरीदी

तत्कालीन सरकार ने 65 करोड़ रुपए खर्च करके 406 विशेष एंबुलेंस खरीदीं। इन एंबुलेंस को आधुनिक चिकित्सा उपकरणों से लैस किया गया था। लेकिन अब, सत्ता परिवर्तन के बाद, कांग्रेस की मोहन सरकार इस योजना की जांच कराने की तैयारी कर रही है।


महिंद्रा बोलेरो कैंपर गोल्ड पिकअप में है एंबुलेंस

वहीं, शिवराज सरकार ने इस योजना के लिए महिंद्रा बोलेरो कैंपर गोल्ड पिकअप गाड़ियों को रूपांतरित करवा कर एम्बुलेंस बनवाया था। इन एम्बुलेंस में दो दवा रखने की अलमारियां, एक वॉशबेसिन और एक फ्रिज भी लगाया गया था। लेकिन बाद में इन्हीं उपकरणों को हटाने के आदेश दिए गए।


मोबाइल पशु चिकित्सा इकाई के रूप में हुई थी शुरुआत

पशु संजीवनी योजना मूल रूप से मोबाइल पशु चिकित्सा इकाई के रूप में शुरू की गई थी। इसके तहत 1962 टोल-फ्री नंबर के जरिए पशुपालक अपने बीमार पशुओं के लिए एम्बुलेंस बुलवा सकते थे। योजना के अनुसार, राज्य के 313 विकासखंडों में कम से कम एक और बड़े ब्लॉकों में दो एंबुलेंस भेजी जानी थीं। साथ ही, सभी 55 जिला मुख्यालयों में एक-एक एंबुलेंस रखी गई थी। इस योजना का खर्च केंद्र और राज्य सरकार मिलकर उठा रही थीं। केंद्र सरकार 60% और राज्य सरकार 40% राशि दे रही थी।

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