श्रीमद् भागवत कथा का समारोह पूर्वक हुआ समापन

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नगर के लालबर्रा रोड स्थित गायत्री मंदिर परिसर मैं सकल जन मानस के तत्वाधान में श्रीमद् भागवत कथा रसोत्सव का आयोजन 12 नवंबर से किया गया था जिसका कथा के सातवे दिन यानी 18 नवंबर को कथा विश्राम कर हवन पूजन भंडारे का आयोजन कर कार्यक्रम का समापन किया गया। जिसमें प्रातः 9:00 बजे से कथा प्रारंभ की गई जिसमें सुदामा चरित्र, कृष्ण उद्धव संवाद, श्री शुकदेव पूजन, श्रीमद्भागवत संक्षिप्त विषय, अनुक्रमणिका कर सकीर्तन किया गया। इस दौरान उपस्थित जनसमुदाय ने भाव विभोर होकर कीर्तन की धुन में जमकर झूमा तो वही भक्तिमय वातावरण में कथा का श्रवण भी किया। विदित हो कि नगर में पहली बार अष्टोत्तरशत 108 मूल पाठ श्रीमद् भागवत कथा रसोत्सव का भव्य आयोजन किया गया था। जिसमें 12 नवंबर से प्रतिदिन 108 ब्राह्मणों के द्वारा निर्धारित जजमानों की पूजा अर्चना करवाई जाती थी तत्पश्चात कथा श्रवण किया जाता था। जिसमें श्री धाम वृंदावन के रसिक भागवताचार्य श्री हित ललितवल्लभ नागार्च के द्वारा व्यास आसन से लगातार प्रतिदिन श्रीमद् भागवत कथा मैं विभिन्न प्रसंग एवं पात्रों की कथा जैसे श्रीमद्भागवत की रचना, राजा परीक्षित, सुखदेव मुनि आगमन, प्रहलाद चरित्र, वामन अवतार, श्री राम अवतार, श्री कृष्ण जन्म, राधा जन्म, भगवान कृष्ण की लीलाएं, गोवर्धन पूजन, श्री कृष्ण रुक्मणी मंगल विवाह प्रसंग, कृष्ण उद्धव संवाद, जैसे समस्त प्रकार के प्रसंग एवं पात्रों की कथा सुनाई गयी। जिसमे उक्त श्रीमद् भागवत कथा के सातवे दिन हर्षोल्लास के साथ सुदामा चरित्र, कृष्ण उद्धव संवाद, शुकदेव पूजन और श्रीमद्भागवत संक्षिप्त विषय अनुक्रमणिका एवं सकीर्तन प्रवचन के माध्यम से बताया गया की सुदामा चरित्र क्या था कृष्ण और उद्धव के बीच किस प्रकार का संवाद हुआ था और श्रीमद्भागवत का संक्षिप्त विषय क्या है इसके बारे में विस्तार से कथा सुनायी गयी। उक्त सुनाई गई कथा का उपस्थित जनसमूह ने भावविभोर होकर श्रवण किया। अंतिम में कीर्तन किया गया जिसमें उपस्थित जनसमूह ने जमकर नृत्य किया वही 12 नवंबर से जारी श्रीमद् भागवत कथा रसोउत्सव का समापन कथा विश्राम के साथ किया गया। जिसके बाद विधि विधान से मंत्र उच्चारण के साथ हवन पूजन कर विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। इस अवसर पर नगर व क्षेत्र के गणमान्य नागरिक उपस्थित होकर धर्म लाभ अर्जित किया।

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