भारत ने मीडिया में आई उन खबरों को तथ्यहीन बताया जिसमें एक अरब डॉलर की ऋण सुविधा के तहत नई दिल्ली द्वारा श्रीलंका को पानी की बौछार करने वाले वाहन की आपूर्ति करने का दावा किया गया है। भारतीय उच्चायोग ने दोहराया कि ऋण सुविधा का उद्देश्य संकट के समय में श्रीलंका के नागरिकों के लिए भोजन, दवाओं और अन्य आवश्यक वस्तुओं की मदद उपलब्ध कराना है। उच्चायोग ने अपने ट्वीट में कहा कि ये खबरें तथ्यात्मक रूप से गलत हैं। भारत द्वारा दी गई क्रेडिट लाइन के तहत पानी की बौछार करने वाले वाहनों की कोई आपूर्ति नहीं की गई।
उच्चायोग ने एक बयान भी जारी किया, जिसमें भारत द्वारा श्रीलंका को एक अरब डॉलर की ऋण सुविधा के तहत आपूर्ति की गई वस्तुओं का विवरण साझा किया गया है। इससे पहले श्रीलंकाई सरकार ने देश में आपातकाल लागू करने के फैसले का बचाव करते हुए शनिवार को कहा कि अभूतपूर्व आर्थिक संकट से निपटने के लिये यह जरूरी था। हालांकि इस फैसले को लेकर राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को विपक्ष और विदेशी राजदूतों की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है, जिनका कहना है कि इससे सुरक्षा बलों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों पर कार्रवाई का अधिकार मिल जाएगा।
राष्ट्रपति ने शुक्रवार को कैबिनेट की एक विशेष बैठक में शुक्रवार आधी रात से आपातकाल लागू होने की घोषणा की थी। महज एक माह में यह दूसरा मौका है, जब देश में आपातकाल घोषित किया गया है। राजपक्षे ने इससे पहले अपने निजी आवास के सामने लोगों के बड़े पैमाने पर प्रदर्शन के बाद एक अप्रैल को आपातकाल लगाने की घोषणा की थी। उन्होंने हालांकि पांच अप्रैल को इसे हटा लिया था। यह घोषणा ऐसे समय की गई जब छात्र कार्यकर्ताओं ने गुरुवार रात से संसद का घेराव कर रखा है।
छात्रों ने आवश्यक वस्तुओं की कमी और मौजूदा आर्थिक संकट से उबरने में असमर्थता के लिए सरकार के इस्तीफे की मांग करते हुए परिसर के मुख्य प्रवेश द्वार को बंद कर दिया। सरकारी सूचना विभाग ने शनिवार को एक बयान में कहा, श्रीलंका वर्तमान में स्वतंत्रता के बाद सबसे खराब आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता का सामना कर रहा है, जिसका कारण कई लघु और दीर्घकालिक कारक हैं। आम धारणा यह है कि इस गंभीर स्थिति से निपटने के लिए राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक ताने-बाने के स्तर पर कई गहन सुधार किए जाने की जरूरत है।
बयान में कहा गया इसमें प्राथमिकता में यथासंभव कम से कम समय में विदेशी मुद्रा की कमी का प्रबंधन और आवश्यक वस्तुओं व सेवाओं की आपूर्ति को बहाल करना है। सरकार ने कहा वित्तीय सहायता प्राप्त करने और बकाया कर्ज के पुनर्गठन के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) सहित बहु-पक्षीय संस्थानों के साथ चर्चा चल रही है। आपातकाल की जरूरत की वजह बताते हुए बयान में कहा गया समाज में राजनीतिक स्थिरता और शांति दो प्रमुख शर्तें हैं जिनकी मांग ऐसे कार्यक्रमों की सफलता के लिए आत्मविश्वास और ताकत बनाने के वास्ते की जाती है।