संस्‍कृति बचाओ मंच का दावा, शिव मंदिर तोड़कर बनाई गई थी भोपाल की जामा मस्‍जिद, सर्वे की मांग

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यूपी के वाराणसी में ज्ञानवापी मस्‍जिद को लेकर उठा विवाद दूसरे प्रदेशों में भी पहुंचने लगा है। राजधानी भोपाल में संस्कृति बचाओ मंच नामक संगठन ने पुराने शहर के चौक में स्‍थित जामा मस्‍जिद का पुरातात्‍विक सर्वेक्षण कराने की मांग छेड़ दी है। संस्‍कृति बचाओ मंच के अध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी ने इस आशय की मांग मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा से की है। इस संदर्भ में उन्‍होंने गृहमंत्री डा. नरोत्‍तम मिश्रा से मुलाकात कर ज्ञापन भी सौंपा। तिवारी ने कहा कि दिल्ली की जामा मस्जिद की तरह भोपाल की जामा मस्जिद भी बाग पद्धति पर आधारित है। मजिस्द का इतिहास पुराना है। भोपाल रियासत की आठवीं शासिका सुल्तान जहां बेगम ने अपनी किताब हयाते कुदसी में जिक्र किया है कि पहले इसे हिन्दुओं का पुराना मंदिर से जाना जाता था। हमारी मांग है कि मस्‍जिद का पुरातात्‍विक सर्वेक्षण कराया जाए। हम इस संदर्भ में अदालत में भी याचिका लगाएंगे।

चंद्रशेखर तिवारी का दावा है कि मंदिर तोड़कर जामा मस्जिद मनाई गई है। पुरातत्व विभाग सर्वे करे तो दूध का दूध व पानी का पानी हो जाएगा। जिस तरह उत्तर प्रदेश की ज्ञानवापी मस्जिद में भगवान शिवजी का शिवलिंग मिला है। उसी तरह पुराने शहर के चौक बाजार की जामा मस्‍जिद में मूर्तियां मिलेंगी। जामा मस्जिद का निर्माण 1857 में हुआ था। पुराना मंदिर तोड़कर मजिस्द बनाई गई थी। उस समय इसकी लागत पांच लाख रुपये आई थी। नौ मीटर वर्गाकार ऊंची जगह पर निर्मित इस मस्जिद के चारों कोनों पर हुरे बने हुए हैं। इसमें तीन दिशाओं से प्रवेश द्वार हैं। भीतर एक आंगन है। पूर्वी और उत्तरी द्वार के बीच हौज स्तंभों पर आधारित है। स्तंभों की संरचना इस तरह की है, जो भवन को दो समांतर भागों में बांटती है। पांच मंजिला इमारत में मीनारें हैं।

चंद्रशेखर तिवारी का कहना है कि उन्होंने जामा मस्जिद जाकर देखा है। मंदिर के अवशेष मिलते हैं। यदि पुरातत्‍व विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों ने सर्वे किया तो इस बात की सौ प्रतिशत संभावना है कि मस्जिद में भगवान शिवजी की मूर्ति निकलने के साथ-साथ ऐसे अवशेष निकलेंगे, जो मंदिर होने का प्रमाण देंगे। सरकार को सर्वे कराकर मस्जिद को हिन्दू समाज को सौंप देना चाहिए।

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