क्रिकेट की दुनिया के किंग कहे जाने वाले भारतीय रन मशीन विराट कोहली खराब दौर से गुजर रहे हैं। यह ऐसा वक्त है, जो हर किसी की जिंदगी में आता है। एक बार नहीं, कई बार आता है। इस तरह के दौर से महान सचिन तेंदुलकर भी गुजरे, लेकिन उन्होंने इस तरह के फेज को इस तरह से संभाला, जिससे उनके ऊपर कभी ऐसे सवाल नहीं उठे कि उन्हें टीम से बाहर करने की कोई मांग करे या उनके क्रिकेट करियर के अंत की बात की जाय। वह अपने खराब दौर में भी खतरनाक थे।
यह अलग बात है कि महान सचिन तेंदुलकर इस बात को समझ रहे थे कि यह उनका सबसे खराब दौर है। यही वजह है कि उन्होंने उससे निकलने के लिए कई वर्कआउट अपनाए। खुद पर काम किया। अब कोहली की तुलना महान सचिन से होती है। ऐसे में सबसे पहले तो समझते हैं कि सचिन तेंदुलकर मुश्किल वक्त में भी कितने रन बनाए और विराट कोहली उनके आगे कहां हैं।
सचिन तेंदुलकर के लिए 2003-04 से 2006-07 सबसे मुश्किल दौर था। 2005-06 और 2006-07 यही दो मौके थे उनका टेस्ट औसत 50 से ड्रॉप हुआ। इस दौरान उन्होंने क्रमश: 27.91 और 33.16 की औसत से रन बनाए। विराट कोहली 2011 से 2019 तक पावरहाउस थे। उन्होंने 84 टेस्ट में 7202 रन ठोके। लेकिन 2020 के बाद से 33 मैचों में 1833 रन ही बनाए हैं।
दूसरी ओर, महान सचिन तेंदुलकर ने अपने खराब दौर में भी सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर नाबाद 241 रन ठोक डाले थे। उनके नाम साउथ अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में भी शतक थे। विराट कोहली के नाम पिछले चार सालों में दो शतक हैं। खैर, आइए समझने की कोशिश करते हैं कि जब सचिन तेंदुलकर मुश्किल वक्त से गुजर रहे थे तो किस तरह से वापस लौटे थे और विराट कोहली उनसे क्या कुछ सीख कर वापसी कर सकते हैं…
विराट कोहली के साथ ऐसा नहीं है कि वह शॉट्स मिस कर रहे हैं। उनके बल्ले से अभी भी जो शॉट्स निकल रहे हैं वो क्लीन हैं। हालांकि, सवाल उनके शॉट सिलेक्शन पर जरूर हो सकता है। महान सचिन तेंदुलकर की कवर ड्राइव का भला कौन दिवाना नहीं है, लेकिन ऑस्ट्रेलिया में उन्होंने दोहरा शतक लगाने के दौरान एक भी कवर ड्राइव नहीं लगाए। वह शॉट उनकी कमजोरी साबित हो रहा था। कोहली को भी कुछ शॉट्स को छोड़ना होगा। मैदान पर वक्त बिताना होगा। बेंगलुरु में खेली गई दूसरी पारी में 70 रनों की पारी खेली थी। मैदान पर अगर वह वक्त बिताएंगे तो इसमें कोई शक नहीं की बड़ी पारी खेल सकते हैं।