सड़क निर्माण के लिए आरईएस विभाग ने २० वर्ष पुराने बरगद के पेड़ को काटा

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नगर मुख्यालय के हाई स्कूल मार्ग स्थित शासकीय पशु चिकित्सालय के सामने २० वर्ष पुराना बरगद का पेड़ था जहां सुहागिन महिलाएं प्रतिवर्ष वट सावित्री व्रत के अवसर पर पहुंचकर पूजा-पाठ कर पति की दीर्घायु की कामना करती थी। साथ ही यह पेड़ छाया भी प्रदान करता था एवं किसान अपने पशुओं का उपचार करवाने पशु चिकित्सालय पहुंचते थे तो उसके नीचे बैठकर कुछ देर आराम भी करते थे। सड़क निर्माण के लिए आरईएस विभाग के द्वारा ८ जून को २० वर्ष पुराने बरगद के पेड़ को कटवा दिया गया है। जिससे सबसे अधिक महिलाओं के आस्था पर प्रभाव पड़ा है और उनमें शासन-प्रशासन के प्रति आक्रोश व्याप्त है क्योंकि लालबर्रा मुख्यालय में सिर्फ एक ही बरगद का पेड़ था जहां प्रतिवर्ष सुहागिन महिलाएं वट सावित्री व्रत के दिन पूजा अर्चना करने पहुंचती थी जोआस्था का केन्द्र बन चुकी थी जिसे आरईएस विभाग के द्वारा कटवा दिया गया है । जबकि उक्त बरगद का पेड़ की छटिंग कर सुरक्षित रखा जा सकता था परन्तु ऐसा नही किया गया है। वहीं दूसरी ओर भोपाल के बागसेविनिया क्षेत्र में सड़क निर्माण के लिए २० साल पुराने पीपल एवं बरगद के पेड़ काटने के लिए लोक निर्माण विभाग ने सड़क निर्माण के लिए हटाने के निर्देश दिये थे जिस पर प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने ७ जून को कहा कि महिलाएं पीपल एवं बरगद के पेड़ों के पास पूजा करती था उनकी आस्थाएं जुड़ी हुई है इसलिए प्रदेश में जहां भी पीपल एवं बरगद के पेड़ है उसे नही काटा जायेगा परन्तु बालाघाट विधानसभा के लालबर्रा नगर मुख्यालय में सड़क निर्माण के लिए २० साल पुराने बरगद के पेड़ को काटा गया हैै जिससे महिलाओं के साथ अन्य लोगों में शासन-प्रशासन के प्रति आक्रोश व्याप्त है।

आस्था का केन्द्र था बरगद का पेड़

नगर मुख्यालय के हाई स्कूल मार्ग पशु चिकित्सालय के सामने बरगद का पेड़ था जो एक तरह से आस्था का केन्द्र था जहां प्रतिवर्ष नगर की सैकड़ों सुहागिन महिलाएं वट सावित्री व्रत पर पूजा अर्चना करने के लिए आती है और गत दिवस वट सावित्री व्रत के अवसर पर भी पहुंचकर पूजा-पाठ की गई थी। इस दौरान जब उन्हे जानकारी लगी कि सड़क निर्माण के लिए पेड़ काटने वाले है तो उन्होने नाराजगी भी व्यक्त की थी। २० साल पुराने बरगद के पेड़ के पास पहुंचकर सैकड़ों महिलाएं पूजा अर्चना करने जाती थी, पेड़ के कट जाने से विकास के नाम पर आस्था के साथ खिलवाड़ किया गया है यदि आरईएस विभाग चाहता तो उस पेड़ को बचा सकता था यानि कि चतबूरा बनाकर सुरक्षित रखा जा सकता था परन्तु उन्होने ऐसा नही किया और इस आस्था के केन्द्र को बेरहमी से काटकर उजाड़ दिया गया है जिससे
महिलाओं को अब वट सावित्री व्रत की पूजा अर्चना करने के लिए कही दूर जाना पड़ेगा।

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