सरकार की बजट पर क्या है मुश्किल, यहां समझिए पूरी बात

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NDA सरकार के तीसरे टर्म का पहला बजट 23 जुलाई को पेश होगा। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली केंद्र सरकार का यह लगातार 11वां बजट होगा, लेकिन इस बार सरकार के सामने अलग तरह की चुनौती है। पहली बात यह कि इस बार इन 11 सालों में पहली बार BJP अकेले अपने दम पर सरकार में नहीं है। दूसरी बात यह कि इस बार सहयोगी दलों का सरकार पर अलग तरह का दबाव है। तीसरी बात यह कि जल्द ही महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने हैं और प्रेशर लोकलुभावन बजट पेश करने का भी है। सबसे बड़ी चुनौती यह कि सीमित विकल्प के बीच सरकार किस तबके पर फोकस करे। बजट से पहले ग्रामीण से लेकर शहरी तबकों ने अपनी विश-लिस्ट दे दी है। ऐसे में 23 जुलाई को पेश होने वाला बजट न सिर्फ सरकार का वित्तीय लेखा-जोखा होगा, बल्कि आगे की राजनीतिक दिशा का ब्लू प्रिंट भी उससे मिलेगा।

हर तबके की टिकी नजर
बजट पर इस बार सबसे अधिक नजर मिडल क्लास की लगी है। वह बजट में अपने लिए राहत का पिटारा देखना चाहता है। खासकर Tax के मोर्चे पर सरकार के सामने रियायत देने का दबाव बहुत बढ़ गया है। 2024 आम चुनाव में भले BJP की सीटें कम हुईं, लेकिन चुनाव बाद आए आंकड़ों ने साबित किया कि मिडल क्लास BJP के साथ मजबूती से जुड़ा रहा। अब अगर चुनाव बाद सोशल मीडिया पर मिडल क्लास लोगों के बहस-मुबाहिसे देखें तो उनका तर्क है कि पिछले कुछ सालों से BJP ने उनका जितना सपोर्ट लिया, उस मुकाबले उतनी राहत नहीं दी जितनी की अपेक्षा थी। इसका अंदाजा सरकार को भी है। लगातार बढ़ते Tax कलेक्शन की चर्चा भी मिडल क्लास को नागवार गुजरी। यही वजह है कि GST कलेक्शन के आंकड़ों को नियमित रूप से सार्वजनिक करने से अब मोदी सरकार परहेज करने लगी है। साथ ही, संघ ने भी BJP को फीडबैक दिया कि Tax के मोर्चे पर वह मिडल क्लास को राहत दे, नहीं तो अब उसके सब्र का पैमाना टूट सकता है। दरअसल, मिडल क्लास तबका नैरेटिव को बनाने में अहम भूमिका निभाता है, तरे बिगाड़ने में भी। सरकार को इसका अंदाजा है।

लेकिन चिंता का बस यही एक घर नहीं है। आम चुनाव में इस बार BJP को ग्रामीण इलाकों में झटका लगा। कहा गया कि महंगाई, किसानों की दिक्कतों आदि के कारण लोगों में खामोश नाराजगी थी। चुनौती युवाओं के लिए रोजगार की भी है। विपक्ष ने हाल में रोजगार को सफलतापूर्वक बड़ा मुद्दा बना दिया। हालांकि अलग-अलग आंकड़ों के आधार पर रोजगार के मोर्चे पर सरकार अपनी विफलता को खारिज करती रही है, लेकिन उन्हें अच्छी तरह से पता है कि रोजगार के क्षेत्र में उसे तत्काल बड़े कदम उठाने ही होंगे। चुनाव के बाद आए आंकड़े इस बात का संकेत देते हैं कि 18 से 25 साल के युवाओं के बीच BJP का दबदबा कम हुआ। संख्या और प्रभाव के लिहाज से सबसे बड़ा तबका यही है और 2014 से नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली BJP की लगातार मजबूती के पीछे इसी तबके के समर्थन का बड़ा योगदान था। ऐसे में केंद्र सरकार को इस बार बजट में इन सभी को यह संदेश देने की चुनौती है कि वह उनके हित और अपेक्षाओं के साथ खड़ी है। भले यह NDA सरकार के तीसरे टर्म का पहला ही बजट हो, लेकिन ऐसे संजीदा समय में BJP कहीं भी अपनी राजनीतिक पकड़ को और कमजोर नहीं देगी जिससे उसकी दिक्कतें बढ़ें।

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