भारत सरकार ने टेस्ला कंपनी के मालिक एलॉन मस्क (Elon Musk) को कड़ा जवाब देते हुए कहा कि कि वो पहले देश में अपने इलेक्ट्रिक गाड़ियों (EV) का उत्पादन शुरु करे, उसके बाद ही कंपनी को किसी तरह की टैक्स छूट देने पर विचार किया जा सकता है। दरअसल, टेस्ला ने भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों पर इम्पोर्ट ड्यूटी में कमी की मांग की है। जुलाई में, Tesla के CEO एलोन मस्क ने ट्वीट किया था कि वह “इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए अस्थायी टैरिफ राहत” की उम्मीद कर रहे हैं। मस्क ने कहा था कि टेस्ला जल्द ही भारत में अपनी कारों को लॉन्च करना चाहती है, लेकिन भारत में इम्पोर्ट ड्यूटी दुनिया में किसी भी बड़े देश के मुकाबले सबसे ज्यादा है।
सरकार का क्या है स्टैंड?
इसी के जवाब में भारी उद्योग मंत्रालय ने अमेरिकी इलेक्ट्रिक कार कंपनी Tesla से कहा है कि वह पहले भारत में अपने इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की मैन्युफैक्चरिंग शुरू करे, उसके बाद ही किसी तरह के टैक्स छूट पर विचार किया जा सकता है। PTI के मुताबिक, सरकार किसी भी वाहन निर्माता कंपनी को ऐसी रियायत नहीं दे रही है और सिर्फ टेस्ला को किसी भी तरह का लाभ या छूट देने से, भारत में अरबों डॉलर का निवेश करने वाली दूसरी कंपनियों के बीच अच्छा संकेत नहीं जाएगा। वहीं, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि देश में ई-व्हीकल के भविष्य को देखते हुए Tesla के पास भारत में अपना मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट स्थापित करने का सुनहरा अवसर है।
कितना लगता है टैक्स?
इस समय कंप्लीट बिल्ट यूनिट (CBU) के रूप में इम्पोर्ट की जाने वाली कारों पर 60 से 100 प्रतिशत तक कस्टम ड्यूटी लगती है, जो उसके इंजन के आकार और लागत, इंश्योरेंस और माल ढुलाई (CIP) पर निर्भर करता है।अमेरिकी कंपनी ने सरकार से अनुरोध किया है कि इलेक्ट्रिक कारों पर टैरिफ को 40 प्रतिशत तक मानकीकृत किया जाए और इलेक्ट्रिक कारों पर 10 प्रतिशत का सोशल वेलफेयर सरचार्ज वापस लिया जाए।